Screenshot_20221103-203604_YouTube
IMG-20230215-WA0382
a12
IMG-20230329-WA0101
IMG-20250522-WA0024(1)
Screenshot_20250526_173711_OneDrive
pdfreader_convert_20250527_125827_14338716152356740473.jpg
img-20250601-wa00204013975260455082796.jpg
PlayPause
previous arrow
next arrow

सिंहासन मेरे बाप का के मंचन के साथ पांच दिवसीय नाट्य महोत्सव का हुआ समापन

Share on facebook
Share on whatsapp
Share on twitter
Share on google
Share on linkedin

यूपी – गाजियाबाद लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ एव हिंदी भवन समिति द्वारा चले आ रहे पांच दिवसीय नाट्य का समापन बड़े उत्साह के साथ हुआ। हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल द्वारा बताया गया की पांच दिवसीय नाट्य में सबसे अहम बात ये रही कि सारे नाटकों में युवा पीढ़ी व स्कूल कॉलेज के बच्चो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
उन्होंने बताया रविवार को समापन समारोह के दौरान आयोजित “सिंहासन मेरे बाप का” नाट्य में दर्शाया गया की सपने देखने का हर एक व्यक्ति को अधिकार प्राप्त है। ऐसी ही स्थिति में एक ग्रामीण बालक भी बड़ा सपना देखता है और सोचता है कि मैं भी एक दिन अपना खुद का साम्राज्य स्थापित करूंगा जिस की बागडोर अपने हाथ में ले अपने राज्य का संचालन करूंगा। इसके संचालन के लिए योग्य महिला पब्लिक पुरुषों का साक्षात्कार लेता है और अपना साम्राज्य स्थापित कर लेता है। तभी साक्षात्कार के जरिए चयनित महिला एवं पदाधिकारी मंतरा एफ पदाधिकारी राजा के विरुद्ध बगावत कर देते हैं और शिवम महाराज बनने का प्रयास करते हैं। तभी लेखक को इस बात का आभास होता है की उसने टोनी महाराज जैसे किरदार का चयन कर पूरे साम्राज्य की बागडोर उसके हाथ में सौंप दी है और उसके क्रिया कलापोर को देखकर लेखक उसका वध करने को विवश हो जाता है।