महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने हिन्दुओ से यहूदियों के इजरायल जैसा सनातन वैदिक राष्ट्र बनाने का आह्वान किया
हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई माँ बगलामुखी महायज्ञ की पूर्णाहुति

यूपी – हापुड़ शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने हरमिलाप मंदिर शिवपुरी में सनातन धर्म की रक्षा, सभी हिन्दुओं के परिवारों की रक्षा, सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल विनाश और भक्तगणों की सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु किए जा रहे मां बगलामुखी महायज्ञ के सातवे व अंतिम दिन माँ बगलामुखी की साधना पर प्रवचन करते हुए कहा कि माँ पीताम्बरा बगलामुखी का महायज्ञ कल्पवृक्ष के समान है जिसमे श्रद्धापूर्वक भाग लेकर भक्तगण अपनी प्रत्येक सात्विक मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। माँ बगलामुखी विजय और सद्बुद्धि की देवी हैं।तंत्र साधना में इन्ही को ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। सनातन धर्म के जितने भी महान योद्धा हुए हैं उन्होंने माँ बगलामुखी की साधना से ही शत्रुओं पर विजय प्राप्त की है। माँ बगलामुखी वस्तुतः देवाधिदेव भगवान महादेव शिव की आठवी महाविद्या हैं। मानव के रूप में भगवान परशुराम जी पृथ्वी पर इनके पहले उपासक थे। भगवान श्रीराम, योगेश्वर श्रीकृष्ण, पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण, महावीर कर्ण, महावीर अर्जुन से लेकर आल्हा ऊदल जैसे योद्धा माँ पीताम्बरा बगलामुखी के उपासक थे। माँ पीताम्बरा बगलामुखी के सच्चे भक्त को कभी भी जीवन में अपमान और पराजय का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मे सनातन धर्म पर जो विकट संकट आया हुआ है, उसके लिये सम्पूर्ण हिन्दू समाज को माँ बगलामुखी की शरण मे आना चाहिये। माँ बगलामुखी की कृपा से ही हमारे सनातन धर्म, परिवार और अस्तित्व की रक्षा सम्भव हो सकेगी।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने हापुड़ चैंबर ऑफ कामर्स में हापुड़ के प्रबुद्ध नागरिकों की एक बैठक को भी संबोधित किया। जिसमें उन्होंने सभी हिन्दुओ से इजरायल की तरह हिन्दुओ का भी एक देश बनाने का आह्वान किया।यह देश सनातन वैदिक राष्ट्र होगा।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने पाकिस्तान व बांग्लादेश सहित भारत में चल रहे जघन्य हिन्दू नरसंहार पर तीव्र आक्रोश व्यक्त किया और भारत के हिन्दुओ से बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दुओ के हाल से शिक्षा लेने का आह्वान किया।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में आर्मी और पुलिस के साथ मिलकर मुस्लिम जनसमुदाय हिन्दुओ का भीषण नरसंहार कर रहे हैं। इस्कान के निरपराध चिन्मय दास प्रभु को जेल में डाल कर बांग्लादेश की सरकार ने सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुओ को उनकी औकात बताई है। अगर ऐसा किसी देश ने किसी यहूदी के साथ किया होता तो इजरायल उस देश पर अब तक आक्रमण कर चुका होता और उस यहूदी को बचा कर ले गया होता। अगर हम हिन्दुओ के पास भी अपना कोई राष्ट्र होता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित किसी भी देश मे हिन्दुओ की दुर्गति ना हुई होती। हमने असीमित साधन और बलिदान आहूत करके श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनाया परंतु यह श्रीराम मंदिर मुस्लिम जिहादियों की भीड़ के द्वारा उसी दिन तोड़ दिया जाएगा जिस दिन भारत का प्रधानमंत्री कोई मुसलमान बनेगा।मुस्लिमो की भयानक रूप से बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए यह अब ज्यादा दिन की बात नहीं है। अगर श्रीराम मंदिर के स्थान पर यह आंदोलन अगर सनातन वैदिक राष्ट्र के लिये किया जाता तो हमे लव जिहाद, गौ रक्षा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ या सम्भल के हरिहर मंदिर की चिंता नहीं करनी पड़ती क्योकि ये तो सब हमे मिल ही जाता। लेकिन हमने छोटी बातों पर तो आंदोलन किये पर असली समस्या पर कभी आवाज ही नहीं उठाई और इस अभूतपूर्व दुर्गति को प्राप्त हुए। हमे समझना चाहिये कि अब हिन्दुओ की यह अंतिम शरणस्थली भारतवर्ष बहुत तेजी से शरिया कानून की ओर चल दिया है जहाँ ना तो कोई मंदिर बचेगा और ना कि कोई मंदिरों में पूजा करने वाला। इस विषय को ना तो कोई हिन्दू नेता उठा रहा है, ना ही कोई हिन्दू धर्मगुरु और ना ही कोई हिन्दू संगठन उठा रहा है। अब नेतृत्वविहीन हिन्दू समाज को स्वयं आगे बढ़कर अपने और अपने परिवार के अस्तित्व की रक्षा के लिए सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना चाहिए अन्यथा विश्व में सनातन धर्म का बीज भी नहीं बचेगा।
सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना के लिए सनातन वैदिक ज्ञानपीठ की स्थापना करनी पड़ेगी जिसके लिये प्रत्येक हिन्दू को सहयोग करना चाहिए।
महायज्ञ में उनके साथ डॉ उदिता त्यागी व उनके शिष्य यति सत्यदेवानंद, यति अभयानंद, यति धर्मानंद, डॉ योगेंद्र योगी व पंडित सुनील दत्त शर्मा भी थे। महायज्ञ के पुरोहित पंडित सनोज शास्त्री एवं महायज्ञ के यजमान विपुल मित्तल और अरुण त्यागी थे। संजीव त्यागी, पंकज गर्ग, दिनेश सिंघल, राजीव गर्ग, सुरेश केडिया, सुधीर गुप्ता, अनुज गुप्ता, मयंक सहित अनेक भक्तगणों ने महायज्ञ में आहुति समर्पित की।