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अल्पसंख्यक अध्यक्ष को बदलने की जरूरत

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– युवक कांग्रेस से चला रहे हैं काम

– गुटबाजी के सिवाय दूसरा कोई काम नही

कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदर्शन के बाद ज्ञापन देते अध्यक्ष सलीम सैफी के साथ जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष आसिफ सैफी के अलावा कोई अल्पसंख्यक नेता नहीं है।

विशेष संवाददाता

यूपी – गाजियाबाद इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस हाईकमान को अपने फ्रंटल संगठनों के कामकाज, उपलब्धियों और नाकामियों की समीक्षा करने की जरूरत है। जहां तक गाजियाबाद का सवाल है तो अल्पसंख्यक मोर्चा के बारे में तो तुरंत नजर डालनी होगी, जो खुद तो कमजोर है ही, युवक कांग्रेस को भी नेस्त ओ नाबूद करने पर आमादा है। अगर हाईकमान ने आंखें मूंदे रखीं तो यही कहा जाएगा कि अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश नेतृत्व को पार्टी से सरोकार नहीं रह गया है।
कहना गलत नहीं होगा कि दूसरी पार्टियों में फ्रंटल संगठनों को बहुत महत्व दिया जाता है और इन संगठनों का नेतृत्व उन्हें सौंपा जाता है, जो समझदार होते हैं, जिनकी कम से कम अपनी बिरादरी पर तो अच्छी पैठ होती है। यह तय बात है कि गाजियाबाद में अगर जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान आसिफ सैफी के हाथ में न हो तो पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे का नामलेवा नहीं होगा। अल्पसंख्यक मोर्चे का आलम यह है कि इस मोर्चे के दो दिन पहले हुए एक प्रदर्शन में बमुश्किल आधा दर्जन लोग शामिल हो पाए, जिनमें भी खुद मोर्चा जिलाध्यक्ष सलीम सैफी और युवक कांग्रेस जिलाध्यक्ष आसिफ सैफी के अलावा एक भी अल्पसंख्यक नेता नहीं था।
मोर्चा जिलाध्यक्ष सलीम सैफी के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि प्रदर्शन में उनकी टीम का कौन सा नेता है? जो लोग प्रदर्शन में शामिल थे, उनमें भी उम्रदाराज बड़े नेता थे, जो सलीम सैफी द्वारा मन्नतें करने पर कलक्ट्रेट पहुंचे थे। इससे पहले संविधान बचाओ सभा के दौरान भी अल्पसंख्यक मोर्चे का यही हाल था। मंच पर सलीम सैफी वक्ताओं के बगल में खड़े होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे। अपनी कमेटी या टीम के कितने साथी सभा में लाए, यह सवाल पूछने पर बगलें झांकते नजर आ रहे थे।         
एक बात तय है कि जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आसिफ सैफी के रूप में पार्टी ने सही चयन किया है। उन्होंने पार्टी कार्यालय का कायाकल्प कर युवा कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में कामयाबी हासिल की है। लेकिन वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके हमसफर बनकर उनकी जमीन को अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष कमजोर कर रहे हैं। सलीम सैफी खुद तो गुटबाजी कर ही रहे हैं, आसिफ सैफी को भी अपने रंग में रंगकर उनकी सियासी जमीन खोखली करने का काम कर रहे हैं। आसिफ सैफी को सलीम एक पल अकेला छोड़ना अपने लिये खतरा मानते हैं। इसलिये कि कोई आसिफ को असलियत का अहसास न करा दे।
पार्टी में अल्पसंख्यक मोर्चे की खस्ता हालत पर अगर कोई बोलता है तो उसे मुस्लिम विरोधी करार देकर सलीम सैफी कांग्रेस के व्हाट्सएप ग्रुपों में पोस्ट करने से ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं। युवक कांग्रेस के कार्यक्रमों में अपने फोटो डालकर मोर्चे के प्रदेश हाईकमान की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस का हर कार्यकर्ता यह कहते देखा जा रहा है कि अच्छा होगा कि अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कोई सुलझे नेता को कमान थमाकर मोर्चे की लाज बचाएं।