Screenshot_20221103-203604_YouTube
IMG-20230215-WA0382
a12
IMG-20230329-WA0101
IMG-20240907-WA0005
IMG-20240914-WA0017
PlayPause
previous arrow
next arrow

कुंडली में दुर्घटना योग से बचना है तो करें रक्तदान : आचार्य शिव कुमार शर्मा

Share on facebook
Share on whatsapp
Share on twitter
Share on google
Share on linkedin

आचार्य शिव कुमार शर्मा – ज्योतिष शास्त्र में प्राचीन काल से ही कुंडली में ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को कभी न कभी या कहीं ना कहीं छोटी से लेकर बड़ी दुर्घटना तक करा सकते हैं। कभी-कभी तो बड़ी दुर्घटनाएं मृत्यु में बदल जाती है ।आज हम ज्योतिष द्वारा उन दुर्घटनाओं से संबंधित कुछ योगों का विचार करते हैं।
जन्म कुंडली में मंगल और शनि दुर्घटना कारक ग्रह है। लग्न या दूसरे भाव में राहु, मंगल या शनि मंगल का योग हो उससे दुर्घटना का योग बनता है, क्योंकि अष्टम भाव व्यक्ति का मारक भाव होता है। अष्टम भाव बाएं पैर का भी प्रतिनिधित्व करता है और द्वितीय स्थान से अष्टम स्थान पर सप्तम दृष्टि यदि मंगल शनि राहु की होती है तो व्यक्ति को चोट लगती है। लग्न में शनि या मंगल हो तो भी चोट आदि का डर रहता है। चतुर्थ भाव में भी मंगल अथवा शनि दुर्घटना का योग बनाते हैं। द्वित्तीय, षष्ठ, सप्तम और अष्टम भाव पर मंगल शनि का अशुभ प्रभाव हो या अष्टमेश अशुभ अवस्था में हो  तो उस व्यक्ति को बार-बार चोट, एक्सटेंट का खतरा रहता है ।अक्सर हम देखते हैं की आजकल वाहनों की अधिकता, तेज गति, धैर्य की कमी इन सब कारणों से भी दुर्घटनाएं अधिक बढ़ जाती हैं। इससे हमें बहुत ही जागरूक रहना चाहिए। किंतु जो कुंडली में दुर्घटना के अथवा चोट लगने के योग होते हैं तो घर पर भी घट सकते हैं। दुर्घटना के कारण हमारे शरीर का रक्त निकलता है। असहनीय दर्द होता है। हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है और हजारों लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं, जीवन का खतरा भी बन सकता है।
उपरोक्त योगों के अलावा जन्म कुंडली में अशुभ ग्रहों की महादशा अथवा गोचर से भी योग बनते हैं। इन सब की शांति के लिए ज्योतिष में बहुत से उपाय हैं किंतु सबसे उत्तम उपाय रक्तदान हैं ।
रक्तदानं महादानं सर्वदानेषु   दुर्लभम्। सर्वप्रथम हम खुद महसूस करते हैं कि हमें चोट बहुत लगती है या चोट लगने की संभावनाएं दिखाई पड़ती हैं। इसके अलावा हम अपनी जन्म कुंडली को किसी विद्वान ज्योतिषी से दिखाकर ज्ञात कर सकते हैं। यदि आपको बार-बार चोट लगती है, रक्त बहता है। तो हमें दुर्घटना के योगों से बचने के लिए रक्तदान बहुत आवश्यक है। यदि हम वर्ष में एक दो बार रक्तदान करते हैं तो हमें चोट की संभावनाएं कम हो जाती है। रक्तदान करने से जहां आपका शरीर स्वस्थ रहेगा वही उसी रक्त से किसी मरीज को प्राण दान मिल जाएगा वास्तव में आज के युग में रक्तदान बहुत आवश्यक है।
हमारे ज्योतिष क्षेत्र के आचार्य शून्य फाउंडेशन के अध्यक्ष कौशल किशोर जो रक्तदान करने में बहुत ही प्रसिद्ध है। उन्होंने जीवन में बहुत रक्तदान किया है।सौ से अधिक रक्तदान के कारण  उनका लिम्का वर्ड बुक में नाम दर्ज हो गया है। इन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। इतना अधिक रक्तदान करने पर भी वे बहुत चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ हैं और नई उर्जा के परिचायक हैं।
कई लोग सोचते हैं कि रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है, भविष्य में परेशानी आती है। जबकि ऐसा नहीं है। हमारा शरीर जो भोजन ग्रहण करता हैं उससे रक्त के निर्माण की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। और बार-बार अथवा महीने में एक बार दो बार रक्तदान करने से हम स्वस्थ रहेंगे। हमारे चोट दुर्घटनाओं का योग कम होगा और हमारे रक्त से कई लोगों का भला होगा।
आओ संकल्प लें कि यदि आपकी कुंडली में चोट या एक्सटेंड का योग भी नहीं है तो भी दूसरों की सहायता के लिए रक्तदान करना चाहिए।