
यूपी – गाजियाबाद नेहरू नगर स्थित गांधर्व संगीत महाविद्यालय में गांधर्व के नाटक प्रभाग – डॉ. विमला गुप्ता नाट्य मंच के कलाकारों द्वारा “गांधर्व मुक्ताकाश सभागार” में 30 जून को आचार्य संदीप सिंघवाल के निर्देशन में प्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश द्वारा लिखित लोकप्रिय नाटक “आषाढ़ का एक दिन” का संगीतमय मंचन किया गया। जिसको देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

गांधर्व संगीत महाविद्यालय गाजियाबाद के सचिव तरुण गोयल ने बताया कि नाटक की कहानी उज्जैन के पास गांव की है जहां कालिदास नाम का कवि रहता है और वह मल्लिका नामक स्त्री से प्रेम करता है लेकिन मल्लिका की मां अंबिका दोनों के प्रेम का विरोध करती है वह कहती है कि अगर वह प्रेम करता है तो शादी क्यों नहीं करता लेकिन कालिदास अपने मामा मातुल की गाय चराता है और कोई काम नहीं करता, बस कविताएं लिखता है कालिदास की कविताएं उज्जैनी के राजा पढ़ लेते हैं और उन्हें पसंद आती है और वह उसे राज्य कवि बनाने के लिए उज्जैन बुलाते हैं। लेकिन कालिदास जाने के लिये मना कर देता है लेकिन मल्लिका उसे ज़ोर देकर उज्जैनी भेज देती है। जहां कालिदास का विवाह राजकुमारी प्रियंगुमंजरी से राजा कर देता है यह सुनकर मल्लिका को बहुत दुख होता है। कालिदास को भी राजनीतिक जीवन पसंद नहीं आता और वह वापस गांव लौट आता है लेकिन तब तक मल्लिका का विवाह हो चुका होता है, विलोम नामक व्यक्ति से। इसमें यही दिखाया है कि साहित्य जीवन और राजनीतिक जीवन एक साथ नहीं चल सकते। इच्छा हमेशा बनी रहती है लेकिन समय बदल जाता है धन के आगे कला मर जाती है।

इसमें आषाढ़ की वर्षा को जीवन के साथ जोड़ा है कालिदास आषाढ़ की वर्षा में भीग कर लिखता है तो वह लिख पाता है। आखिर में यही दिखाया गया है समय शक्तिशाली है वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
सभागार में सभी दर्शकों ने निदेशक संदीप सिंघवाल एवं उनका चरित्र कालिदास को एवं उनके कलाकारों के अभिनय को देखते हुए सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी तथा मल्लिका का चरित्र निभाने वाली रचना वार्ष्णेय के प्रभावशाली अभिनय से दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। इस अवसर पर भविष्य फाउंडेशन के संस्थापक दीपक गुप्ता द्वारा सभी कलाकारों को सम्मान पत्र वितरित किए गए।
नाटक का मंचन करने वाले कलाकारों में संदीप सिंघवाल- निर्देशन एवं कालिदास, विपिन कसाना – विलोम, एम.एल.अरोड़ा- मातुल, रचना वार्ष्णेय- मल्लिका, आरती श्रीवास्तव – अंबिका, प्रदीप कश्यप – दंतुल एवं अनुनासिक, कानन शुक्ला – रानी (प्रियंगु मंजरी), ओजस्वी डोगरा – रंगनी, नितिन वर्मा – निक्षेप, निकुंज डोगरा – अनुस्वार, नितिन नेहरा – व्यापारी, उर्वशी महेडिया – संगिनी, पंकज प्रजापति – आचार्य वरुचि, गोविंद – सैनिक एवं दीपांशी ने बालक चरित्र निभाया।
इस दौरान विशेषअतिथिगण डॉ. तारा गुप्ता – निदेशक गांधर्व, राधा रमन वार्ष्णेय – वरिष्ठ समाजसेवी, वरिष्ठ कवि राज कौशिक, लायंस क्लब से अनीता अग्रवाल, भविष्य फाउंडेशन के संस्थापक दीपक गुप्ता, व्हाइट फेदर प्रोडक्शन से मल्लिका सैनी, कृष्ण कुमार वार्ष्णेय मौजूद रहे।