– बिचौलिये के पांच करोड़ फंसने की खबर बनी चर्चा-ए-आम
अजय औदीच्य
नई दिल्ली – भ्रष्टाचार पर यह कहावत अक्सर कही जाती है कि ‘‘बस्ती ठीक से बसी नहीं और लुटेरों ने ठिकाने बनाने शुरू कर दिये।’’ इन दिनों दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) का यही हाल है। केन्द्र में तीसरी बार मोदी सरकार बने अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन खबरें ऐसी आने लगी हैं जो हैरत करने वाली हैं। फिलहाल सबसे बड़ी चर्चा सचिव/कमिश्नर की पोस्ट पर प्रमोशन को लेकर खींचातानी को लेकर हो रही है। बड़ा मामला यह है कि इस पद पर प्रमोशन के लिये इतनी मोटी रकम मांगे जाने की चर्चा हो रही है कि आम आदमी को तो गश ही आ जाए। अलबत्ता इतना जरूर कहा जा सकता है कि एक पोस्ट पर नियुक्ति के लिये करोड़ों रुपए की पेशकस होना यह साबित करता है कि डीडीए में भ्रष्टाचार किस हद तक हावी है और नौकरशाहों की कितनी अवैध कमाई होती होगी।
दरअसल, चर्चा यह है कि एक अधिकारी ने सचिव / कमिश्नर के पद पर प्रमोशन के लिये अपने एक मित्र के जरिये सिफारिश की तो उसने कहा कि 17 करोड़ में बात तय हो गई है। सूत्रों का कहना है कि जिस अफसर को प्रमोशन की दरकार है, उसने अग्रिम राशि के तौर पर 50 लाख रुपए दे दिये। चर्चा है कि सौदा तय करने वाले बिचौलिये मित्र को अधिकारी पर भरोसा था, लिहाजा उसने अपनी तिजोरी से 5 करोड़ रुपए खर्च कर दिये। लेकिन इससे पहले कि सौदे के तहत काम हो, केन्द्र में मोदी-3 सरकार बन गई और अधिकारी के जान-पहचान वाले एक पूर्व मुख्यमंत्री केन्द्र में कैबिनेट मंत्री बन गए।
डीडीए के गलियारों में चर्चा है कि प्रमोशन पाने की चाह रखने वाले अधिकारी अपने करीबी को कैबिनेट मंत्री बनता देख पैसे देने से मुकर गए और कह दिया कि वे अपने आप प्रमोशन करा लेंगे। अब चूंकि कथित रूप से बिचौलिये मित्र के 5 करोड़ रुपए फंस गए हैं, लिहाजा मित्र के मित्र से खबर लीक हो गई। डीडीए के कई अधिकारी इस खबर को लेकर एक-दूसरे से कानाफूंसी और मनोरंजन करते देखे जा रहे हैं। खासकर बिचौलिये की मोटी रकम फंसने की खबर चर्चा-ए-आम बन रही है। दूसरी ओर यह सवाल भी उठ रहा है कि कोई अधिकारी प्रमोशन के लिये 17 करोड़ रुपए तक देने को तैयार हो जाएगा तो प्रमोशन के बाद कैसी लूट मचाएगा? बहरहाल, प्रमोशन अभी हुआ नहीं है, जबकि जिस बिचौलिये की रकम फंस गई है, उसके चेहरे पर तनाव की लकीरें गाढ़ी हो रही हैं।