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ज्ञानपीठ केंद्र में मनाया गया संविधान दिवस

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यूपी – गाजियाबाद 26 नवम्बर को ज्ञान पीठकेन्द्र-1 स्वरूप पार्क जी0टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में “संविधान दिवस” कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद समाजवादी चिंतक राम दुलार यादव ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. देवकर्ण चौहान रहे। आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने एवं संचालन अनिल मिश्र ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. देवकर्ण चौहान ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। विश्व के अनेक देशों के संविधान की विशेषताओं को भारत के संविधान में समाहित किया गया है, डा0 भीम राव अंबेडकर की अध्यक्षता में गठित प्रारूप समिति ने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को स्वीकार किया। यह संविधान भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, उन्हे सम्मान जनक, गौरव और गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार प्रदान करता है। डा0 अंबेडकर ने मानवीय गरिमा को संविधान के केन्द्र में स्थापित कर दिया।

समाजवादी विचारक शिक्षाविद राम दुलार यादव ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि 26 नवम्बर 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास का चिर स्मरणीय दिन है, जिसने इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ दी है, डा0 बाबा साहब अंबेडकर द्वारा रचित संविधान आज के ही दिन अंगीकार किया गया इसलिए इसे संविधान दिवस के रूप में हर्षोल्लास के साथ हम भारत वासी मनाते है, संविधान दिवस का दिन गौरवान्वित करने का दिन है, संविधान कोई मामूली पुस्तक नहीं, बल्कि देश में राज, काज कैसे चले, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने, तथा देश के लिए नागरिकों का क्या कर्तव्य है, व्याख्या करती है। लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी हम असमानता, अन्याय, अनाचार और शोषण के शिकार है, व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्याय पालिका को प्रभावित कर उसे कमजोर करने में लगी हुई है, संवैधानिक संस्थाए अपने हिसाब से सत्ता संचालित कर रही है। हमारे देश के राज्यपाल का पद गरिमामय, सम्मानजनक है, लेकिन कई राज्यों में इस पद का दुरोपयोग हो सवालिया निशान खड़े हो रहे है, यह संविधान और लोकतन्त्र की गरिमा का क्षरण है, यह देश के लिए शुभ संकेत नहीं है, हमे करोड़ों स्वतन्त्रता सेनानियों, शहीदों, वीर बलिदानियों को स्मरण करते हुए जिन्होने ब्रिटिश गुलामी से हमे आजाद कराया, जेल गए, यातनाएँ झेली, फांसी के फंदे को चूम लिया, उन्हे स्मरण करते हुए संविधान की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण के लिए तैयार रहना चाहिए। समता, स्वतन्त्रता, न्याय और बंधुता, धर्म निरपेक्षता, समाजवाद की विचार धारा तभी मजबूत होगी। इस अवसर पर अंशु ठाकुर समाजवादी नेता ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर सुनाई।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राम दुलार यादव, अमृतलाल चौरसिया, एस0 एन0 अवस्थी, एस0एन0 जायसवाल, रामेश्वर यादव, राम करन जायसवाल, मुनीव यादव, हरेन्द्र यादव, हरिशंकर यादव, दिलीप यादव, डा. देवकर्ण चौहान, हरि कृष्ण, भक्ति यादव, ब्रह्म प्रकाश, सम्राट सिंह यादव, अनिल मिश्र, फूलचंद पटेल, अंशु ठाकुर, राम सेवक यादव, खुमान, नवीन कुमार, रोहित यादव, शिवानंद चौबे मौजूद रहे।