यूपी – गाजियाबाद एक 2 महीने का बच्चा जबड़े का ट्यूमर लेकर अस्पताल में आया। यशोदा अस्पताल आने से पूर्व यह बच्चे के तीमारदार इससे AIIMS दिल्ली ले गए थे जहां इन्हें काफी बाद का समय मिला था जिसके कारण परिवार वाले काफी परेशान थे। आगरा के मूल निवासी बच्चे के पिता यू पी पुलिस में कार्यरत हैं। आगरा के ही किसी वरिष्ठ चिकित्सक ने इन्हें यशोदा अस्पताल के कैंसर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ (ब्रिग) ए के त्यागी से मिलने को कहा। बता दें कि डॉ (ब्रिग)ए के त्यागी यशोदा से पूर्व AFMC पुणे में कैंसर विभाग में प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। डॉ त्यागी प्रतिष्टित आर्मी अस्पताल R&R में भी मालिग्नेंट डिसीज़ के HOD रह चुके हैं।
डॉ त्यागी ने बच्चे की बीमारी व उसकी स्तिथि को देखते हुए तुरंत ही बॉयोप्सी करने का सुझाव दिया जिसकी रिपोर्टिंग डॉ (ब्रिग) अजय मालिक HOD- यशोदा पैथोलॉजी लैब ने मरीज की गंभीरता को देखते हुए शिघ्रतापूर्वक एक ही दिन में रिपोर्ट तैयार की। उस रिपोर्ट में जो कैंसर की बीमारी सामने आई उसका नाम melatonic neuro-ectodermal tumour of infancy था जो विश्व की दुर्लभ बीमारियों में से एक है जो करोड़ों बच्चों में से एक को होता है। मेडिकल रिकार्ड्स के अनुसार पिछले 100 वर्षों में पूरे विश्व में कुल 500 केसेस ही सामने आए हैं। इस बीमारी में कैंसर की पूरे शरीर में फैलने की तीव्रता काफी तेज होती है और थोड़े भी विलंभ से यह बीमारी आपरेशन के लायक नही रह जाती है।
बीमारी का पता चलते ही अस्पताल में ट्यूमर बोर्ड का गठन किया गया जिसमें डॉ (ब्रिग) ए के त्यागी, डॉ (कर्नल) न चक्रवर्ती HOD-रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, डॉ (मेजर जनरल) बी एन कपूर HOD-मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ (कर्नल) परवाज़ आलम HOD- प्लास्टिक व रिकंस्ट्रुक्टिव सर्जरी, डॉ (ब्रिग) अजय मालिक HOD-यशोदा लैब, डॉ (मेजर जनरल) नवदीप सेठी HOD-पेडियेट्रिक अनेस्थेसिया व डॉ (मेजर) सचिन दुबे वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ शामिल थे जिसमे यह फैसला लिया गया कि बच्चे के जबड़े का वो हिस्सा जो कैंसर से प्रभावित है उससे आपरेशन से निकाला जायेगा।
इस सर्जरी के उपरान्त दूसरी बड़ी चैलेंज यह थी कि बच्चे के निकाले हुए जबड़े का पुनर्निर्माण करना जिससे बच्चा नार्मल जिंदगी जी सके। इस जटिल सर्जरी को करने के लिए डॉ (कर्नल) परवाज़ आलम HOD-प्लास्टिक व रिकंस्ट्रुक्टिव सर्जरी, यशोदा अस्पताल ने अपना पुर्ण योगदान दिया तथा उन्होंने पसली से नए जबड़े का निर्माण किया। इस ऑपेरशन में एक और महत्वपूर्ण योगदान डॉ (मेजर जनरल) नवदीप सेठी HOD-पेडियेट्रिक अनेस्थेसिया ने दिया क्योंकि इतने कम उम्र के बच्चे को अनेस्थेसिया देना भी एक कठिन कार्य है। डॉ(ब्रिग) ए के त्यागी के नेतृत्व में यह जटिल सर्जरी लगभग 5 घंटे चलने के उपरांत सफलतापुर्वक सम्पन हुई।
आपरेशन के पश्चात पोस्ट ओपरेटिव केअर के लिए बच्चे को डॉ (मेजर) सचिन दुबे वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ के संरक्षण में PICU में अगले 5 दिनों के लिए रखा गया। पांचवें दिन बच्चे को दूध पीने की स्तिथि में अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
यशोदा अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ रजत अरोरा ने डॉ (ब्रिग) ए के त्यागी व समस्त वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम को इस जटिल कैंसर सर्जरी को सफलतापूर्वक संपन्न करने पर ढेर सारी बधाइयाँ दी। उन्होंने बताया कि उनका यह उद्देश्य है कि पूरे उत्तरप्रदेश व समीपवर्ती राज्यों के किसी भी मरीज को इलाज के लिए दिल्ली की ओर रुख न करना पड़े।