ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन की मुख्यमंत्री से सम्बंधित अधिकारियों व स्कूल प्रबंधन के ख़िलाफ़ कार्यवाही की मांग
यूपी – गाजियाबाद ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवानी जैन व महासचिव सचिन सोनी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि
डीएलएफ पब्लिक स्कूल राजेन्द्र नगर गाजियाबाद में पढ़ने वाली मात्र तीन साल की छोटी बच्ची, जिसे स्कूल में दाखिला लिए पंद्रह दिन ही हुए थे, स्कूल के कर्मचारी बम बहादुर ने स्कूल की किचन में दुष्कर्म किया। जिसे की बच्ची द्वारा अपने परिजनों को बताए जाने के उपरांत परिजनों से पुलिस में शिकायत दर्ज करायी। तथा 20-जुलाई-2023 में बच्ची का डॉक्टरी जाँच करायी गयी।
प्राप्त शिकायत के आधार पर कोतवाली साहिबाबाद, गाजियाबाद में पुलिस ने छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कर लिया व अपनी पड़ताल में आरोपी को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन जाँच के दौरान एक नही अनेकों खामियां छोड़ दी जिसका लाभ आरोपी को ही नही बल्कि स्कूल प्रबंधन को भी मिला।
उन्होंने बताया जाँच अधिकारी ने आरोपी को मान्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व जनपद स्तरीय बाल संरक्षण समिति को भी जानकारी नही दी, बच्ची की जाँच करने वाले डॉक्टर को गवाह नही बनाया गया, जाँच के दौरान स्कूली स्टॉफ को गवाह बनाने के बजाए स्कूल के बाहर रेहड़ी लगाकर आइसक्रीम व फलूदा बेचने वालों के ब्यान दर्ज किए गए जबकि घटना स्कूल परिसर में घटित हुई थी। बच्ची ने घटना स्थल पर आरोपी बम बहादुर के साथ-साथ किसी महिला होने की बात अपने ब्यान में कही लेकिन पुलिस द्वारा जाँच के दौरान किसी महिला को आरोपी नही बनाया गया ना ही महिला के ब्यान दर्ज किए। नियमानुसार स्कूल की किचन में सीसीटीवी कैमरा होना चाहिए था लेकिन जाँच के दौरान इस अतिमहत्वपूर्ण बिंदु को अनदेखा किया गया जिस कारण डिजिटल रैप जैसी घिनोनी घटना मात्र छेड़छाड़ की बनकर रह गयी।
घटना घट जाने के बाद बच्ची के परिजन लगातार पुलिस से संपर्क बनाए रहे लेकिन उन्हें किसी तरह की कोई जानकारी जाँच अधिकारी द्वारा नही दी गयी। महीनों बीत जाने के बाद बच्ची के परिजनों ने ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन से संपर्क किया, तब एसोसिएशन की मदद से बच्ची के परिजन बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष से मिले व उन्हें पूरी घटना से अवगत कराया तब उन्होंने ना केवल बच्ची के ब्यान लिए बल्कि मान्य न्यायालय में भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के ख़िलाफ़ डिजिटल रैप के तहत कार्यवाही होनी चाहिए थी। उस महिला कर्मी संलिप्ता की जाँच होनी चाहिए थी, जिस महिला के संदर्भ में बच्ची ने ब्यान दर्ज कराए है। स्कूल के कैमरों की जाँच होनी चाहिए थी व आरोपी बम बहादुर के साथ-साथ अन्य स्कूली कर्मियों की पुलिस जाँच मान्य न्यायालय में प्रस्तुत की जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नही हुआ, जिस कारण एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले को मामूली धाराओं में दोषी बनाया गया चूँकि हजारों बच्चो के अभिभावक अपने बच्चों को विश्वास के तहत स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते है लेकिन स्कूल प्रबंधन अपने छोटे लालच में सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नही करता है और कोई भी घटना घट जाने के बाद अपने ऊंचे रसूखो के चलते किसी भी जाँच में स्वयं बच निकलता है।
शिवानी जैन एवं सचिन सोनी ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से मांग की कि उपरोक्त घटना को देखते हुए स्कूल की सेफ़्टी एवं सिक्योरिटी के लिए बनाए गए सभी बिंदुओ की जाँच होनी चाहिए और यदि सुरक्षा सम्बन्धी बिंदुओ में खामी पाए जाने पर बच्चो की सुरक्षा में खामी पाए जाने स्कूल के ख़िलाफ़ कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में बम बहादुर जैसे कर्मचारी को स्कूल में मासूम बच्चों के बीच न रखा जाए चूँकि बच्ची मात्र 15 दिन ही स्कूल गयी है इस लिए बच्ची के परिजनों द्वारा जमा करायी गयी दाखिला राशि, स्कूल में जमा करायी गयी फ़ीस व स्कूल परिसर में बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म से बच्ची को हुए मानसिक तनाव के ईलाज में आए डॉक्टरी खर्चे के साथ-साथ आगामी सत्र 2024-25 में बच्ची के अन्य स्कूल में दाखिला कराने की जिम्मेदारी डीएलएफ स्कूल प्रबंधन की होनी चाहिए।