अष्ट द्रव्य से पूजा करने से मिलता है 1000 उपवास का फल
यूपी – गाजियाबाद श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर कवि नगर में मुनि श्री 108 अनुकरण सागर महाराज ने सैकड़ों जैन बच्चों को संस्कारित किया। मुनि श्री ने इस अवसर पर बच्चों को कुछ हल्के नियम भी दिलवाए जिनका वे पालन कर सकें।
उन्होंने बच्चों से कहा आप लोग नियम लें कि जीवन में कभी भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करेंगे, शादी तक ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे, माता-पिता का सम्मान करेंगे, महीने में एक बार देव दर्शन जरूर करेंगे, इसके अलावा वह जब चाहे तब मंदिर जरूर जायें, रात्रि भोजन का 1 दिन का त्याग जरूर करें और जो बच्चे हमेशा के लिए रात्रि का भोजन त्याग कर सकते हैं उन्हें जरूर त्याग करना चाहिए यह जैन धर्म की पहचान है। आप लोग जैन कुल में पैदा हुए हैं यह बड़े ही भाग्य की बात है। मनुष्य जन्म लोगों को 8400000 योनियों में भटकने के बाद प्राप्त होता है इसलिए इस जीवन का सदुपयोग जरूर करना चाहिए। जीवन में अच्छे कर्म और धर्म ध्यान जरूर करना चाहिए जिससे कि बार-बार इस नरक लोक में आने जाने से आपको छुटकारा मिल सके और अच्छी गति प्राप्त हो सके। उन्होंने सभी बच्चों को सूर्य मंत्र पड़ते हुये संस्कारित किया। महाराज श्री ने सभी बच्चों को तरह-तरह के मंत्रों और अनेकों विधि द्वारा संस्कारित किया। जीवन में बच्चों को नियम दिलवाया कि वह शहद का प्रयोग नहीं करेंगे क्योंकि एक बूंद शहद में 7 गांव को जलाने के बराबर पाप मिलता है इसलिए शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए इसकी जगह चासनी का उपयोग करना चाहिए बाद में सभी बच्चों को प्रसाद दिया उन्होंने यह भी नियम दिया कि कोई बच्चा जीवन में आत्महत्या नहीं करेगा या बहुत बड़ा पाप होता है अगर किसी का आत्महत्या करने का मन हो तो है मेरे पास चला आए लेकिन जीवन में कभी भी आत्महत्या नहीं करें सभी बच्चों ने इस बात का नियम लिया कि वह जीवन में कभी आत्महत्या नहीं करेंगे।
मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचन में कहा की जो व्यक्ति अष्ट द्रव्य से पूजा करता है उसे 1000 उपवास के बराबर पुण्य मिलता है और जो व्यक्ति मन से श्री जी के अभिषेक का भाव बना लेता जो मन्दिर नहीं जा सकते उन्हें भी हजारों उपवास के बराबर फल मिलता है और जो व्यक्ति घर से मंदिर जाने के लिए अपने शुध्द भाव बना लेता है उसी वक्त उसे सैकड़ो उपवास के बराबर फल मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में देव दर्शन जरूर करने चाहिए जिससे कि उसके भाव अच्छे हो जाते हैं और वह सभी जीवों के प्रति अच्छे कार्य करता है। जो व्यक्ति श्री जी का अभिषेक करता है वह जीवन में मांस मदिरा का सेवन नहीं करेगा।इसलिए सच्चे भाव से श्री जी का अभिषेक जरूर करना चाहिए।अपने माता-पिता को सम्मान देना चाहिए सुबह शाम उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए अगर चरण स्पर्श भी नहीं कर सकते तो जय जिनेंद्र सोते और उठते समय जरूर करना चाहिए। दोनों वक्त णमोकार मंत्र को जरुर पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा जो अस्त्र-शस्त्र व वस्त्र को धारण करता है वह भगवान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा जीवन में अनेकों तरह के दान होते हैं व्यक्ति को औषधि दान, द्रव दान, मुद्रा दान, सेवा दान जरूर करना चाहिए। मनुष्य के जीवन में सिर्फ धर्म और उसके कर्म ही है जो उसके साथ जाता है। जो मनुष्य जीवन में जैसे कर्म करता है उसका फल उसे इसी जन्म में या अगले भव में जरूर मिलता है इसलिए जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए जिससे कि आपका यह जन्म भी सुधरे और अगला जन्म भी सुधर जाए। उन्होंने कहा मनुष्य को जीवन में अधिक से अधिक त्याग करना चाहिए जो व्यक्ति जितना त्याग करेगा उसको उतना अधिक पुण्य मिलेगा इसलिए चाहे कम समय के लिए त्याग करें लेकिन जरूर करें। मनुष्य को जीवन में त्याग जरूर करना चाहिए और नियम जरूर लेना चाहिए जो व्यक्ति जीवन में त्याग नहीं करते हैं नियम का पालन नहीं करते हैं बुरे कर्म करते हैं वह जीवन में बहुत देरी से आगे बढ़ते हैं और उन्हें जीवन में कष्ट ही कष्ट मिलते हैं। मुनि श्री ने कहा जितना छोड़ोगे उतना पाओगे। जिस प्रकार जो पानी एक जगह एकत्रित रहता है वह सड़ जाता है उसी तरह से जीवन में जितना अधिक संचय करोगे उतना ही अधिक आप पाप के भागी बनोगे इसलिए जीवन में छोड़ना सीखें, दान देना सीखें, जितना अधिक दान देंगे धर्म करेंगे अच्छे कर्म करेंगे जीवन उतना ही अधिक निर्मल होता जाएगा मनुष्य को जीवन में क्रोध, मान, माया, मोह ,लोभ आदि का त्याग करना चाहिए जिससे वह मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ सके उन्होंने सभी को बहुत-बहुत आशीर्वाद दिया और कहा की सभी लोग सभी जीवो पर दया करें किसी भी प्रकार की हिंसा न करें, अपने गुरुओं का सम्मान करें, सभी साधु संतों का सम्मान करें, माता-पिता सबसे बड़े भगवान और गुरु होते हैं उनकी सेवा जरूर करें और उनसे आशीर्वाद ग्रहण करें। जो व्यक्ति अपने माता-पिता, बहन भाई और गुरु का सम्मान नहीं करता है वह जीवन में सफल नहीं हो सकता।इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता और जैन समाज के भारी संख्या में स्त्री पुरुष उपस्थित थे। सभी ने इस महोत्सव का आनंद लिया।
इस अवसर पर जैन समाज के प्रवक्ता अजय जैन, मंत्री प्रदीप जैन, राजू जैन, रिषभ जैन, फकीरचंद जैन, राकेश जैन डी एल एफ, सुखबीर जैन, सुमन जैन, साधना जैन, प्राची जैन, सविता जैन, रीता जैन का विशेष सहयोग रहा।