यूपी – गाजियाबाद संत जोसेफ एकेडमी व नंदग्राम के निवासी गगनदीप भारती जो की एथलेटिक्स के पूर्व नैशनल लेवल चैंपियन रह चुके है उन्होंने 23 साल की उम्र में हासिल की यूपीएससी सीएपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा में आल इंडिया रैंक 85 हासिल की। वह हमेशा से अपने देश भारत का गौरव ओर सम्मान बनना चाहते थे। इस मुकाम पर पहुँच कर वह सभी एथलीट्स के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने है।
उन्होंने बचपन से ही स्पोर्ट्स ओर पढ़ाई में बराबर का ध्यान दिया और एक लाइफ में बैलेंस्ड अप्प्रोच का उदाहरण स्थापित किया। कोरोना काल ने उनके स्पोर्ट्स के कैरियर में खूब अड़चन पैदा की लेकिन वह हार नही माने, परंतु उसी दौरान एक घटना से जैसे उनकी जिंदगी थम सी गयी, घुटने में हुई एक सीरियस इंजरी के चलते वह अपने स्पोर्ट्स को कंटिन्यू नही कर पाए, इस सबके चलते भी उनका उत्साह कुछ कम नही हुआ ओर तभी से अपने भारत देश की डिफेंस फोर्सेज का हिस्सा बनने की ठानी ओर पढ़ाई में जुट गए और अपने दूसरे ही प्रयास में आल इंडिया रैंक 85 हासिल की।
गगनदीप भारती के एथलेटिक कोच व सेंट जोसेफ एकेडमी के स्पोर्ट्स टीचर अमरदीप ने जानकारी देते हुए बताया कि गगनदीप भारती बचपन से ही प्रतिभावान थे जिनको क्लास फोर्थ से उनके फिजिकल एजुकेशन टीचर अमरदीप ने उनकी प्रतिभा को जानलिया और उसे ध्यान में रखते हुए उनको ट्रेनिंग दी। प्राथमिक तौर पर उनको जूडो और कराटे की ट्रेनिंग में लिया गया और उनका रुझान एथलेटिक में होने की वजह से एथलेटिक की लोंग जंप, ट्रिपल जंप और 200 मीटर रेस में उनकी अधिक रुचि रही जिस पर उन्होंने सी आई एस सी ई एथलेटिक मीट में लोंग जंप और ट्रिपल जंप में अपना नेशनल रिकॉर्ड भी कायम किया ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ी को यूपीएससी की 85 रैंक प्राप्त करने पर स्कूल के सभी शिक्षक, प्रधानाचार्य व पूर्व खिलाड़ियों ने भी उनको शुभकामनाएं दी, साथ ही साथ उनके उज्जवल भविष्य की कामना की उनके कोच अमरदीप जी ने बताया कि गगनदीप भारती प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी हैं क्योंकि वह खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी बहुत अच्छे थे। उनके पिता प्रमोद कुमार भारती जो एक मध्यम वर्ग से आते हैं उन्होंने अपने बच्चे के लिए कभी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की और प्रतिभावान होने के कारण उनको हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त होती रही। वह अपने मां-बाप व गुरुजनों का आदर करने वाले भी खिलाड़ी हैं साथ ही साथ योग ध्यान में भी उनका रुझान उनके पिता जो पतंजलि योग समिति मे एक पदाधिकारी हैं जिस कारण उनका योग और ध्यान में भी रुझान रहता है जिस कारण से वह आज इस मंजिल पर पहुंचे हैं।