• गुरु के बिना जीवन अधूरा है इसलिए जीवन में गुरु जरूर बनाना चाहिए : मुनि अनुकरण सागर
यूपी – गाजियाबाद श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर कवि नगर में चातुर्मास कर रहे मुनि श्री 108 अनुकरण सागर महाराज का नोवा दीक्षा दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया जिसमें समाज के हजारों धर्म प्रेमी बन्धु शामिल हुए। इस अवसर पर अनेकों कार्यक्रम आयोजित की गई किए गए।
सर्वप्रथम मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। उसके बाद चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, भजन, नृत्य, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, मुनि श्री जी का पूजन अष्टद्रव्य से नवीन पिच्छी भेंट, कमंडल भेंट आदि कार्यक्रम किये गये। इसके उपरांत अनेकों सांस्कृतिक कार्यक्रम समितियों द्वारा प्रस्तुत किए गए जिसमें मुख्य रुप से जैन महिला प्रकोष्ठ, महिला जैन मिलन, जैन महिला समिति, महिला मंडल यमुना विहार, ज्योति नगर दिल्ली से महिला समिति आदि ने आकर के अनेकों भजन, नृत्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जिसकी उपस्थित सभी धर्म प्रेमी बंधुओं ने भूरी भूरी प्रशंसा की और तालियां बजाकर के सभी का उत्साह वर्धन किया।
इस अवसर पर मुनि श्री अनुकरण सागर ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है अगर गुरु नहीं है किसी के जीवन में तो उसका जीवन व्यर्थ है क्योंकि जीवन में ज्ञान गुरु ही देता है कहा भी गया है कि गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए, भगवान को पहचानने के लिए गुरु ही बताते हैं कि यह भगवान हैं लेकिन सब प्रथम गुरु मां होती है फिर पिता होते हैं फिर गुरु होते हैं उसके बाद भगवान पंच परमेष्ठी गुरु होते हैं कुल मिलाकर के गुरुओं के बिना जीवन अधूरा है जो व्यक्ति अपने जीवन में किसी को गुरु नहीं बनाता वह इस संसार में भटकता रहता है। महाराज श्री ने कहा मंदिर को नहीं मां-बाप को पूजो इनके बिना जीवन बेकार है क्योंकि अगर आप मां-बाप की निंदा करते हैं और मंदिर जाकर के पूजा पाठ करते हैं तो वह सब व्यर्थ है क्योंकि माता-पिता ही पहले पूजनीय हैं। जिस प्रकार से देव शास्त्र गुरु को मानने से कल्याण नहीं होगा उनकी बात जो के उन्होंने अपने उपदेशों में कही है उसे मानने से कल्याण होगा। उन्होंने कहा जिस प्रकार से बसंत ऋतु आती है तो प्रकृति सुधर जाती है उसी प्रकार संत जब आपके शहर में आते हैं या आपके घर पर आते हैं तो धर्म की प्रभावना बढ़ती है संस्कृति और आपका जीवन सुधर जाता है।उन्होंने कहा पंचम काल में अगर कोई व्यक्ति मंदिर जाने के भाव कर ले, धर्म चर्चा सुने तो समझना चाहिए कि उसमें धर्म की भावना पैदा हो गई है और उसका कल्याण होता है उन्होंने अंत में कहा कि जन्म होने के बाद माता-पिता को ना भूलें और मरने से पहले गुरु को नहीं भूलना चाहिए यही आपके कल्याण का कारण बनेंगे। इस अवसर पर एक मंगलाचरण पुस्तक का विमोचन और शांतिसागर पुस्तिका का विमोचन किया गया जिसे मुनि श्री 108 अनुकरण सागर जी महाराज ने लिखा है।
इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन, मंत्री प्रदीप जैन, प्रवक्ता अजय जैन पत्रकार, अशोक जैन, ऋषभ जैन, आशीष जैन, सुनील जैन, प्रदीप जैन, राजू जैन, फकीर चंद जैन, स्नेहा जैन, साधना जैन, रेखा जैन, प्रभा जैन, नीरा, मधु, नीतू का विशेष सहयोग रहा।