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यूसीसी के समर्थन में राष्टवादी मुस्लिमों ने विधि आयोग के चेयरमैन को सौंपा मेमोरंडम

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जस्टिस अवस्थी का आश्वासन, कानून संवत होगा निर्णय

मुस्लिम डेलिगेशन ने कहा, जन जागरण अभियान में होगी तेज़ी, देशभर में जुटाया जायेगा समर्थन

नई दिल्ली – समान नागरिक संहिता के समर्थन में मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक दल “भारत फर्स्ट” विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी से नई दिल्ली में मिला। इस अवसर पर शिक्षाविद् , अधिवक्ता, पत्रकार, समाज सेवी और बुद्धिजीवियों ने जस्टिस अवस्थी के समक्ष एक देश, एक कानून, एक झंडा, एक नागरिकता को लेकर अपनी बातें रखीं। जस्टिस अवस्थी ने आश्वासन दिया कि वे सभी सुझावों के मद्देनजर कानून संवत निर्णय लेंगे।

भारत फर्स्ट के अध्यक्ष अधिवक्ता शीराज़ कुरैशी और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के डेलिगेशन की तरफ से जस्टिस अवस्थी को फूलों का बुके देकर अभिनंदन किया और यूसीसी के समर्थन में मेमोरंडम की कॉपी सौंपी।

इस अवसर पर विधि आयोग के चेयरमैन न्यायधीश ऋतु राज अवस्थी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के डेलिगेशन को कहा कि बहुत सी भ्रम की स्थितियां हैं लेकिन किसी भी धर्म, समुदाय या वर्ग के आंतरिक प्रथा को यूसीसी से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि काफी बड़ी तादाद में आयोग को सुझाव प्रस्ताव आए हैं जिनमें अक्सरियत उन लोगों की है जो एक देश एक कानून के समर्थन में हैं।

जस्टिस अवस्थी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर बहुत भ्रामक बाते समाज में प्रचारित होती रहती है मगर ये काम क़ानून बनने वाली संसद का है जो क़ानून और नियमों से अपना काम करती है। जस्टिस अवस्थी ने मुस्लिम डेलिगेशन से कानून को लेकर अनेकों सुझाव मांगे और कहा कि आप अपने सुझाव उन्हें मेल पर या हार्ड कॉपी के रूप में दें।

बैठक के दौरान मंच की ओर से अध्यक्ष शीराज़ कुरैशी ने जस्टिस अवस्थी को आश्वासन दिया कि यूसीसी के मामले में मुस्लिम बुद्धिजीवी का ये ग्रुप धरातल पर लोगों के बीच चला रहे जन जागरण अभियान को और तेज़ी से बढ़ाएगा तथा कानून के समर्थन में एकमत बनाने का काम करेगा।

बैठक के बाद शीराज़ क़ुरैशी अधिवक्ता ने बताया कि यह कानून सभी धर्मों के लोगों को ताकत प्रदान करेगा। इसके तहत गोद लेने की परंपरा को बढ़ावा मिलेगा, महिलाओं के हक में अनगिनत सुविधाएं होंगी जिसमें प्रॉपर्टी के बटवारे में हिस्से का भी मामला होगा। सदस्यों ने इस बात पर चुटकी ली कि जब कोई चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार होता है तब तो शरीयत के कानून के तहत हाथ कटवाने की बात नहीं करता है, उस समय इंडियन पीनल कोड के तहत ही फैसले होते हैं।

बैठक में यह बात भी सामने आई कि अभी सभी तरह के सुझावों के लिए डेट पूरी तरह खुली है, 28 जुलाई की तारीख की कोई बाध्यता नहीं है। रविवार को नई दिल्ली में हुई इस बैठक में राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठन भारत फर्स्ट के अध्यक्ष शिराज कुरैशी, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के सलाहकार डॉक्टर इमरान चौधरी, मंच के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हाजी साबरीन, प्रोफेसर निपुणिका, डॉक्टर इकबाल गौरी, निशा चौधरी, फैज खान, समाज सेवी नजीब मालिक, अधिवक्ता फजल वारसी, उत्तर प्रदेश चैप्टर के प्रभारी जावेद खान सैफ एडवोकेट, सैयद रशीद अली, सैफ कुरैशी,
युवा अधिवक्ता एमादुल होदा शम्स, जरीना रशीद एवं अतिकुर रहमान समेत 21 लोग शामिल रहे।