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भगवान कृष्ण ने गोवर्धन लीला प्रकृति संरक्षण के लिए की : पंडित विष्णु दत्त सरस

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यूपी – गाजियाबाद लोहियानगर स्थित अग्रसेन भवन में श्री सेवार्थ ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्री शिवपुराण कथा व में श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार का दिन उत्सव का दिन रहा। सुबह भगवान शिव-माता पार्वती के विवाह का उत्सव हुआ तो वहीं श्रीमद् भागवत कथा में गोवर्धन उत्सव मनाया गया।

कथा व्यास पंडित विष्णु दत्त सरस ने सुबह श्री शिव पुराण कथा में शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि शिव व माता पार्वती के विवाह के पहले से ही तारकासुर राक्षस का तीनों लोक में अत्याचार था। उसका वध शिव व माता पार्वती के पुत्र से ही होना था। इसी कारण उनका विवाह होना पहले से ही तय था। यानी यह सब लीला भगवान की थी।  सायं उन्होंने गोवर्धन प्रसंग सुनाया और कहा कि गोकुल में वर्षों पुरानी चल रही इंद्र पूजा को भगवान श्रीकृष्ण ने बंद करा दिया। इस पर इंद्र ने क्रोधित होकर वर्षा करते हुए पूरे ब्रज को बहाना चाहा, मगर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण करके ब्रज वासियों का रक्षण किया। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन लीला से जहां एक और इंद्र का अहंकार चूर-चूर किया, वहीं पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। आज हम उनके इस संदेश को भूल चुके हैं और प्रकृति का संरक्षण करने की बजाय उसके साथ खिलवाड कर रहे हैं। इसी कारण आज हम कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने को मजबूर हैं।