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कल्याण और विश्राम की मिलन कथा यात्रा 22 से

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राम कथा गंगा से शिव का अभिषेक करेंगे मोरारी बापू

शिव का अति प्रिय सावन का महीना… 12 ज्योतिर्लिंग… 12 हज़ार किलोमीटर की रेल यात्रा और मोरारी बापू की राम कथा… इसे अनूठा प्रयोग कहें या दैवीय संयोग मगर इसे लेकर लाखों राम भक्त और शिव भक्त उत्साहित हैं। संयोग से इस बार अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के रूप में सावन के दो महीने हैं। लगभग 19 साल बाद ये संयोग बना है जब सावन का एक महीना अधिक हुआ है। ऐसे पावन समय में शिव धामों में राम नाम के गुणगान का महत्व और भी बढ़ जाता है।

रामचरितमानस में राम कथा को गंगा बताया गया है. ..
पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा। सकल लोक जग पावनि गंगा॥
यानि कहा जा सकता है कि राम कथा रूपी गंगा से 12 ज्योतिर्लिंग में भगवान आशुतोष का जलाभिषेक होगा। यह भी कहा जा सकता है कि राम जन्म के बाद जो शिव ज्योतिष का रूप धरकर उनके दर्शन के लिए अयोध्या पधारे थे, उनके आंगन में कथा के रूप में राम स्वयं पधार रहे हैं। कथा के दौरान राम के जीवन से जुड़े प्रसंग शिव आंगन में मानो क्रीड़ा करेंगे और शिव उनका दर्शन करेंगे।

भगवान शिव के विशेष स्थानों (ज्योतिर्लिंगों) पर राम कथा को लेकर मोरारी बापू का कहना है… “भगवान शिव, राम को मानते हैं और भगवान राम, शिव को मानते हैं। रामेश्वरम में महादेव की स्थापना के समय भगवान राम ने कहा था कि जो मेरा भजन करे और शिव की निंदा करे, उसकी दुर्गति होगी। आध्यात्मिक रूप से देखें तो शिव कल्याण हैं और राम आराम हैं, विश्राम हैं। दोनों को अलग नहीं कर सकते। जहां कल्याण होगा वहां आराम भी प्राप्त होगा और जहां आराम होगा, वहीं कल्याण की भावना भी होगी।”

कलियुग में कल्याण और विश्राम का ये मिलन ईश्वर की इच्छा के बिना संभव नहीं हो सकता। इसके लिए जहां कड़े परिश्रम और योजना की आवश्यकता है, वहीं मजबूत इच्छाशक्ति भी चाहिए। मोरारी बापू कहते हैं कि यूं तो प्रत्येक कथा का माध्यम कोई व्यक्ति बनता है लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस कथा के यजमान स्वयं भगवान महादेव हैं। मोरारी बापू मानते हैं कि ये दुर्गम आयोजन है मगर उन्हें हनुमान पर भरोसा है। बापू कहते हैं… “हनुमान चालीसा में कहा गया है- दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते. हनुमान जी का अनुग्रह हो जाए तो दुर्गम काम भी सुगम हो जाते हैं।”
भारतवर्ष को अखंड और अक्षुण्ण रखने के लिए आध्यात्मिक जगत की विभूतियों ने समय-समय पर बड़े-बड़े प्रयास किए हैं। जिस समय ये प्रयास हो रहे होते हैं, भले ही उस समय उनका प्रभाव और उनका महत्व बहुत ज्यादा समझ में नहीं आता हो लेकिन शनै शनै हम महसूस करने लगते हैं कि वो प्रयास कितने महत्वपूर्ण थे। जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में चार पीठों की स्थापना कर भारत को अखंड रखा। ये पीठ सनातन धर्म और परंपराओं को मानने वालों के लिए सर्वाधिक पूजनीय चार धाम हैं जिन्हें हम बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारिका और जगन्नाथ पुरी के नाम से जानते हैं। कुछ ऐसे ही भौगोलिक रूप से देखें तो 12 ज्योतिर्लिंग भी भारत को आध्यात्मिक, दार्शनिक और सनातनी रूप से एक सूत्र में पिरोये रखने का अहम कार्य कर रहे हैं। ये 12 ज्योतिर्लिंग यानि उत्तराखंड में केदारनाथ,  बनारस, उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ, झारखंड में बैद्यनाथ, महाराष्ट्र में नागेश्वर, भीमाशंकर, त्रंबकेश्वर, नासिक, और घृष्णेश्वर, मध्य प्रदेश में ओम्कारेश्वर और महाकालेश्वर, उज्जैन और गुजरात में नागेश्वर व सोमनाथ और दक्षिण भारत के रामेश्वरम व मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव के धामों में 22 जुलाई शनिवार से राम नाम की गूंज शुरू होने जा रही है। इस कथा यात्रा में 12 ज्योतिर्लिंग के साथ तीन धाम जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम एवं द्वारिका और विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन भी सम्मिलित हैं।
मोरारी बापू इस आयोजन को एक तरह का सेतुबंध मान रहे हैं।उनका कहना है कि  देश में, दुनिया में जोड़ने की प्रक्रिया की आज सर्वाधिक आवश्यकता है। कहीं विचारों से, कहीं किसी घटना से तो कहीं मानवीय स्वभाव के कारण हम सभी आपस में एक दूसरे से कटे जा रहे हैं। एक दूसरे से अलग हो रहे हैं। ये कथा सभी को जोड़ने के लिए है। ये एक यात्रा है, नेक यात्रा है। जैसे राम ने सेतु बंद किया तो रीछ, वानर, मानव, राक्षस, पत्थर सभी को एक साथ जोड़ा। बापू आज के दौर सेतु, समन्वय और संवाद को भारत के लिए ईश्वर का ही स्वरूप मानते हैं। उनका कहना है कि 12 ज्योतिर्लिंग में राम कथा के माध्यम से वह सेतु,समन्वय, संवाद और एकता के बीज बोने का प्रयास कर रहे हैं।

मोरारी बापू के अनुसार, श्रद्धा जगत की दृष्टि में कंकर-कंकर में शंकर का अस्तित्व है लेकिन 12 ज्योतिर्लिंग का स्थान और भी विशेष हैं। उनका उद्देश्य कोई उपदेश या संदेश देना नहीं है बल्कि सात्विक, तात्विक और परमार्थिक अर्थ खोजना है। कथा के रूप में जड़ चेतन के साथ ये उनका संवाद है। बापू मानते हैं कि ये सिर्फ भारत की कथा नहीं है बल्कि इसका असर सब जगह होगा।
आप जिस सेतुबंध और एकता की बात कर रहे हैं, क्या इसके लिए सब लोग तैयार हैं, इस प्रश्न के जवाब में मोरारी बापू कहते हैं कि तैयार होना ही पड़ेगा। सत्य धीरे धीरे चलता है, इसलिए समय लगता है जबकि झूठ बहुत तेज दौड़ता है। इसलिए कभी गिर भी सकता है।

एक विशेष बात ये है कि 12 ज्योतिर्लिंग की ये राम कथा 13 स्थानों पर होगी। दरअसल, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दो स्थानों पर माना जाता है। एक स्थान महाराष्ट्र में है तो दूसरा गुजरात में द्वारिका धाम के पास। मोरारी बापू राम कथा को संवाद की कथा बताते हैं। इसलिए किसी विवाद में न जाते हुए दोनों स्थानों पर राम कथा रखी गई है। जिन दो ट्रेनों से कथा के पंजीकृत श्रोता चलेंगे, उन्हें कैलाश भारत गौरव और चित्रकूट भारत गौरव ट्रेन नाम दिया गया है।

…राज कौशिक