यूपी – गाजियाबाद 6 जुलाई 2023 को नरेंद्र कुमार कश्यप राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रावण मास के पवित्र माह प्रारंभ होने के अवसर पर सपरिवार पौराणिक काल के प्रसिद्ध दूधेश्वर नाथ मंदिर में बाबा दूधेश्वर का रुद्राभिषेक किया और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया, बाबा से राष्ट्र एवं प्रदेश के कल्याण की कामना की और महंत नारायण गिरी महाराज ने पूरे परिवार को माला पटका प्रसाद देकर आशीर्वाद प्रदान किया। तत्पश्चात मंत्री जी ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क इंडस्ट्रियल एरिया पहुंचकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जन्म जयंती के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया।
उन्होंने कहा डॉ॰ मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। उन्होने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। इस सरकार में वे वित्तमन्त्री बने। इसी समय वे वीर सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए।
मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था। वहाँ साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी। साम्प्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। 1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनैतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेलों में डाल दिया।
डॉ॰ मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे मानते थे कि विभाजन सम्बन्धी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी। वे मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अन्तर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया। बावजूद इसके लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया। अगस्त, 1946 में मुस्लिम लीग ने जंग की राह पकड़ ली और कलकत्ता में भयंकर बर्बरतापूर्वक अमानवीय मारकाट हुई। उस समय कांग्रेस का नेतृत्व सामूहिक रूप से आतंकित था।वह 1943 से 1946 तक अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी रहे। 1953 में जब उन्होंने राज्य की सीमा पार करने की कोशिश की तो उन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें अस्थायी रूप से दिल का दौरा पड़ने का निदान किया गया और अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन एक दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। चूंकि भारतीय जनता पार्टी भारतीय जनसंघ की उत्तराधिकारी है, इसलिए इसके सदस्यों द्वारा मुखर्जी जी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का संस्थापक भी माना जाता है।
उसके पश्चात लोनी स्थित शिव कावड़ सेवा संस्था द्वारा आयोजित कांवड़ शिविर का उद्घाटन किया एवं कांवरियों की सेवा की भोजन प्रसाद वितरण किया।