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शार्प शूटर रेनू बाला चौहान को 69 साल की इस उम्र में भी गोल्ड से कम पर सब्र नही

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यूपी – गाजियाबाद प्री यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गाजियाबाद की तरफ से वयोवृद्ध महिला शार्प शूटर रेनू बाला चौहान ने .22 बोर की पिस्टल पर अपने हाथ आजमाये। उन्होंने 69 साल की इस उम्र में जिस तरह से प्रदर्शन किया उसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम ही होगी।

जिस उम्र में लोग रिटायर्ड होकर गर्व की अनुभूति करते हैं उस उम्र में पहुंचकर रेनू ने पिस्टल चलानी सीखी थी और अपने करियर की आगाज़ सीधे गोल्ड मेडल से करते हुए आज तक उन्होंने कभी भी स्टेट लेवल तक कोई भी अवसर नहीं छोड़ा जिसमें गोल्ड मेडल से नीचे उन्होंने सब्र किया हो।

मुरादनगर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में रावल आमका दादरी के रहने वाले स्वर्गीय मथन सिंह रावल जी के परिवार में जन्मी थीं। वहॉ उन्होंने अपनी प्रभाकर की डिग्री ली, पढ़ाई के साथ साथ उनका हर प्रकार के खेलों में रुझान रहा उनके बड़े भाई रणजीत रावल और छोटे भाई स्वर्गीय प्रदीप रावल ऑल रांडर प्लेयर रहें थे।
शूटर रेनू बाला चौहान ने बताया कि इस बार वो अत्यधिक उत्साहित रही क्योंकि ये प्री यूपी स्टेट इंटरनेशन शूटिंग रेंज करनी करणी सिंह शूटिंग रेंज तुगलकाबाद में सम्पन हुआ और जिसमें इस बार 0.177 कैलीबर की चैंपियनशिप को नहीं रखा गया था ।


उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि इसका पूरा श्रेय जी एस सिंह जी के अथक प्रयासों को जाता है, जबसे जी एस सिंह जी ने जनरल सेक्रेटरी का पदभार संभाला है तबसे यूपी स्टेट शूटिंग एक अलग ही लेवल पर पहुंचती जा रही है श्री सिंह जी जैसे खिलाड़ी रूप में रहे हैं उससे भी बेहतर वे अधिकारी रूप में शूटिंग को नए आयाम पर पहुंचा रहे हैं।
शूटर आंटी नाम से मशहूर रेनू जी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके लिए शूटिंग में आना एक लाइफ का टर्निंग प्वाइंट रहा है, मेरे बड़े बेटे तरुण सिंह ने मुझको कूलर पर निशाना लगवा कर शुरुआत करी थी, और आज मुझको टारगेट ही कूलर जैसा लगने लगा है। छोटे बड़े बच्चों के बीच में रहकर जब आप खेलते हो तो उम्र का अंतर भूल जाते हो, और यदि गोल्ड मेडल मिले और सभी बच्चे आपके लिए तालियां बजाए तो कहने ही क्या हैं। शूटिंग में हर बड़ा और खासकर बच्चे मेरे को आगे बढ़ने के लिए आगे बढ़ बढ़ कर उत्साहित करते हैं। मैं भी इंसान हूं कभी कभी डिमोटिवेट हो जाती हूं हमारे ऑफिशियल्स उस समय मुझको अलग अलग तरीके से उत्साहित करते हैं क्योंकि मैच करते समय सिर्फ वो ही आपके पास आ सकते हैं और कोच सिर्फ इशारों में आपको समझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार उनकी ट्रिगर फिंगर में काफी समय तक सूजन रही जिस कारण दर्द बना रहता है फिर भी उन्होंने मैच पूरे दिल से किया और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। परन्तु वो अपने स्कोर से बिल्कुल संतुष्ट नज़र नहीं आई इसका कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि उनकी इवेंट में स्पोर्ट्स पिस्टल अपनी नहीं होने के कारण रेंट पर पिस्टल लेनी पड़ती है और दूसरे की पिस्टल पर निर्भर रहना पड़ता है। जब उनसे पूछा कि दूसरे की पिस्टल से क्या फर्क पड़ता है तो उन्होंने जो कहा उसको नकारा नहीं जा सकता और शायद ये ही कारण है कि हम ओलंपिक में एक ही गोल्ड मेडल प्राप्त कर पाए हैं, उन्होंने कहा कि रेस हो या जंग आपका अपना घोड़ा ही जीत निश्चित करता है।