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मानव एकता दिवस पर निरंकारी मिशन के 272 शिविरों में हुआ रक्तदान

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यूपी -गाजियाबाद मानवता की सेवा में प्रतिपल समर्पित हो हमारा जीवन, ऐसी ही भावना से युक्त जीवन हम सभी ने जीना है’ यह उक्त उद्गार सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज द्वारा ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर समालखा एवं शेष 272 स्थानों में आयोजित हुए रक्तदान शिविरों को जूम ऐप के माध्यम द्वारा सामूहिक रूप से अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
सत्गुरू माता जी ने कहा कि बाबा गुरबचन सिंह जी के जीवन एवं उनकी शिक्षाओं से हमें प्रेरणा लेते हुए मानवता की सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना है। इसके अतिरिक्त सत्गुरू माता जी ने बाबा हरदेव सिंह जी की अहम सिखलाईयों का भी जिक्र किया कि रक्तदान के माध्यम द्वारा मानवता की सेवा में हम अपना बहुमूल्य योगदान देकर किसी की जान बचा सकते है। यदि हम शरीर रूप में अपनी सेवाओं को निभाने में किसी कारण असर्मथ हैं और हम रक्तदानं भी नहीं कर पा रहे, तो भी सेवा की भावना स्वीकार्य है। सत्गुरू माता जी ने कहा कि किशोरावस्था में हमें यह इंतजार रहता है कि कब हम युवास्था में प्रवेश करेंगे और मानव मात्र की सेवा, रक्तदान के माध्यम से कर सकेंगे। ऐसी ही सेवा भावना हम सभी में बनी रहे युगप्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी ने आध्यात्मिक जागृति के माध्यम से आपसी भाईचारे एवं मिलर्वतन का विश्वभर में संदेश दिया। साथ ही सेवा के पुंज, समर्पित गुरु-भक्त चाचा प्रताप सिंह जी एवं अन्य भक्तों को भी इस दिन स्मरण किया जाता है। मानव एकता दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष जहां संपूर्ण देश में सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, वहीं विशेषतः रक्तदान शिविरों की विशाल श्रृंखला का आरम्भ होता है जो वर्ष भर निरंतर चलता रहता है।
इस अवसर पर संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा के अतिरिक्त संपूर्ण भारत वर्ष में लगभग 272 शहरों में रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50,000 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। समालखा में आयोजित हुए रक्तदान शिविर में  सत्गुरू माताजी के जीवन साथी आदरणीय रमित चानना जी ने रक्तदान देकर मानवता की सेवा में अपना अहम योगदान दिया और सभी रक्तदाताओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनें। जैसा कि विदित ही है कि संत निरंकारी मिशन सदैव ही मानवीय मूल्यों की रक्षार्थ हेतु की गई सेवाओं के लिए प्रशंसा का पात्र रहा है और कई राज्यों द्वारा सम्मानित भी किया गया है। लोककल्याण के लिए यह सभी सेवाएं निरंतर जारी है।