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श्री ऋषभॉंचल स्थापना दिवस एवं पुरस्कार समर्पण समारोह संपन्न

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यूपी – गाजियाबाद दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र ऋषभॉंचल बर्धवान पुरम मेरठ रोड गाजियाबाद के तत्वावधान में श्री ऋषभॉंचल स्थापना दिवस एवं पच्चीसवाँ ऋषभदेव पुरस्कार समर्पण समारोह परम श्रद्धेय बाल ब्रह्मचारिणी मॉं कौशल जी के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ मुरली मनोहर जोशी पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री जोकि इस संस्था के परम संरक्षक भी हैं उपस्थित थे। इनके अलावा दिनेश गोयल एम एल सी मेरठ सहारनपुर मंडल, पूर्व विधायक कृष्ण वीर सिरोही, पूर्व राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त बल देवराज शर्मा, विजय कुमार जैन राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जैन मिलन, सुरेंद्र कुमार जैन राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष भारतीय जैन मिलन, स्वागताध्यक्ष अजय जैन विजय जैन, ध्वजारोहणकर्ता सुनील जैन अर्पित जैन दीप प्रज्वलनकर्ता नेम चन्द जैन राकेश कुमार जैन, मंगल कलश स्थापना महावीर प्रसाद जैन, जिनवाणी स्थापना प्रदीप जैन, ऋषभदेव पुरस्कार डॉ फूल चंद जैन प्रेमी वाराणसी, ऋषभदेव पुरस्कार समर्पणकर्ता, ऋषभदेव पुरस्कार महावीर सनावत, धर्म संवर्धन सम्मान ब्रजेश जैन सुनील जैन देवेंद्र जैन और मातृ छाया सम्मान अपूर्वा जैन को दिया गया।

इस अवसर पर पूरे भारत से आये लोगों ने शिरकत की डॉ फूल चंद जैन वाराणसी, टीकम चन्द जैन दिल्ली, डॉ ज्योति जैन, डॉ जय कुमार जैन, पं जय निशान्त जैन, बृजेश रावत लखनऊ, नरेन्द्र कुमार जैन टीकमगढ़ के अलावा पानीपत वाराणसी चंडीगढ़ उत्तरांचल बिहार म॰प्र॰आदि से लोग उपस्थित थे।


इस अवसर पर अपने मंगल प्रवचन में मॉं कौशल ने कहा कि जो अन्तरिम सुख का रास्ता दिखाता है जो कल्याण का रास्ता दिखाता हो जो मोक्ष का रास्ता दिखाता हो जो आपको भगवान बनाने का वास्तविक  रास्ता दिखाता हो जिसकी तरंगें आपको अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। वो भगवान का रूप है। उन्होंने कहा कि अर्हत धर्म जो पूर्णता को प्राप्त है उसके नियमों का पालन करके आप भी भगवान बन सकते हैं। जिसके जीवन की तरंगें आपको अपनी ओर आकर्षित करती हैं और जो आपको कल्याण का रास्ता दिखाती है वह ही भगवान का रूप है न कि पद। माँ कौशल ने कहा हम इस तीर्थ क्षेत्र पर उन्हीं लोगों को आमंत्रित करते हैं जिनका आचरण अच्छा है जो समाज व देश के प्रति समर्पित हो न कि जो पद प्राप्त करके बैठे हुए हैं और जिनका आचरण ठीक नहीं है। हमारा राजनैतिक जीवन से कोई संबंध नहीं है जिसका गृह आचरण ठीक हो जो धर्म का पालन करता हो उसका इस तीर्थ क्षेत्र से संबंध है। शरीर को प्राकृतिक चिकित्सा चाहिए आप प्राकृतिक ऊर्जा से आत्मा की शांति कर सकते हैं लेकिन मन को शांत नहीं कर सकते। भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष आहार नहीं लिया हम लोग सोचते हैं कि वो भूखे रहे लेकिन नहीं हमारी नाभि में 1008 दल का कमल होता है जिसे जागृत करने से भूख प्यास कुछ नहीं लगती है तथा शरीर स्वस्थ रहता है। सूर्य ऊर्जा से शरीर स्वस्थ्य रहता है प्राकृतिक ऊर्जा से आत्मा ठीक रहती है। हर मनुष्य को जीवन में स्वयं कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए तथा स्वयं कल्याण करते हुए लोगों के कल्याण के बारे में भी सोचना चाहिए। जैन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसका पालन करते हुए कोई भी व्यक्ति भगवान बन सकता है। जैन धर्म में मुख्य रूप से क्रोध, मन, माया, मोह, लोभ को बस में करना बताया गया है जो ये पांचों इन्द्रियों को वश में कर लेता है वो मोक्ष के रास्ते पर आगे बढ़ जाता है।
  डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि मॉं कौशल ने तप करके इस क्षेत्र को तपोभूमि बनाया है और जहाँ तप होता है वही तीरथ होता है। तीर्थ के दर्शन करके मनुष्य भव सागर से पार हो जाता है माँ कौशल ने इस तीर्थ क्षेत्र को तप करके तपोभूमि बनाया और अपने तप संयम, आचरण, शिक्षा से इसे तीर्थ क्षेत्र बनाया। हमने भी अपने जीवन में मॉ कौशल के आशीर्वाद और पावन सानिध्य से बहुत कुछ सीखा है और कल्याण के रास्ते पर आगे बढ़ा हूँ ये सब मुख्य रूप से मॉं श्री के जीवन दर्शन से सीखा है।
  इस अवसर पर अजय जैन प्रवक्ता, सुधीर जैन, प्रदीप जैन, अजय जैन विजय, जीवेन्द्र जैन, आर सी जैन आदि का विशेष सहयोग रहा है।