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मासूम की मौत के जिम्मेदारों पर कार्यवाई की हिम्मत जुटा पायेगी यूपी सरकार : सीमा त्यागी

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यूपी – गाजियाबाद मोदीनगर के दयावती मोदी पब्लिक स्कूल के कक्षा 4 के 11 वर्षीय मासूम छात्र अनुराग की 20 मई 2022 को स्कूल बस में मौत के 4 दिन बाद भी प्रदेश सरकार द्वारा दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई। सवाल बहुत बड़ा है कि क्या प्रदेश सरकार निजी स्कूल संचालक पर कार्यवाई की हिम्मत जुटा पाएगी यह कहना है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी का।
सीमा त्यागी ने कहा पहले घटी घटनाओं का इतिहास देखे तो आज तक यूपी के किसी भी निजी स्कूल पर कोई कार्यवाई नही की गई है चाहे घटना कितनी भी बड़ी क्यो न हो। जिससे पता चलता है कि पूंजीपति शिक्षा माफियाओं के पैसों की खनक सत्ता के गलियारो तक है जिसके आगे प्रदेश सरकार पूरी तरह से नतमस्तक नजर आती है। आज मासूम को जान गवाये 4 दिन बीत गये लेकिन अभी तक स्कूल के मालिक उमेश मोदी, प्रधानाचार्य और स्कूल के ट्रांसपोर्ट इंचार्ज आर के तायल पर कोई कार्यवाई नही की गई है।अगर स्कूल की बस में कोई हादसा होता है तो इसकी सर्वप्रथम जिम्मेदारी क्या स्कूल मालिक की नहीं है? स्कूल के प्रिंसिपल की नही हैं? स्कूल के ट्रांसपोर्ट इंचार्ज की नही हैं? मोदीनगर के दयावती मोदी पब्लिक स्कूल के 11 वर्षीय मासूम छात्र अनुराग की मौत स्कूल प्रशासन, परिवहन विभाग और शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हुई। बस का फिटनेस प्रमाण मार्च 2021 में ही समाप्त हो गया था और प्रदूषण भी समाप्त हो चुका था उसके बाद भी बस सड़क पर दौड़ रही थी और रोज बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही थी। ना जाने कितनी बार बस चौकी के सामने से भी गुजरी होगी लेकिन स्कूल की बस चेकिंग करने की हिम्मत किसी भी अधिकारी में नही है, क्योकि सभी को मोटा धन स्कूलो से प्राप्त होता है और उसी का परिणाम है कि खुलेआम नियमो की धज्जियां उड़ाते हुये एक होनहार मासूम की जान छीन ली गई। उन्होंने कहा अधिकारी, सरकार माता पिता की पीड़ा और दुःख का अनुमान भी नही लगा सकते है। जब छात्र की मौत के दोषियों पर कार्यवाई के लिये न्याय की मांग की गई तो स्कूल प्रिंसिपल को पुलिस द्वारा पकड़ा गया और माता पिता को न्याय का भरोसा दिया गया शाम होते होते स्कूल के प्रधानाचार्य, स्कूल के मालिक मोदी और कंडक्टर ड्राइवर के खिलाफ 302 और 120 B की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। हालांकि मुकदमे को हल्के करने का यह प्रयास दिखाई देता है क्योंकि मुकदमा धारा 304 के तहत दर्ज होना चाहिए था हो सकता है कोर्ट के माध्यम से धारा बदल दी जाये। जैसे जैसे समय बढ़ता गया पैसे के प्रभाव ने असर करना शरू कर दिया। संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी स्कूल प्रधानाचार्य को छोड़ दिया गया और रात्रि में ही बस को स्कूल से गायब करा दिया गया।कहा यह जा रहा है बस को चैक करने के लिए भेजा गया है। अब आप समझ सकते है कि दिन में अधिकारियों को समय नही मिला इसलिये बस को रात्रि में भेजा गया। जब 21-04-2022 को माता पिता और परिजन दोषियों पर सख्त कार्यवाई न होता देख सड़क पर उतरे तो अधिकारियों ने समझाने की बजाय सख्ती दिखाई। जो सख्ती दोषियों पर दिखाई जानी चाहिए थी वह परिजनों पर दिखाई गई क्योंकि दोषियों पर हाथ लगाने की हिम्मत तो अधिकारियों में है ही नही, उनको बचाने के लिए तो उनके आका बैठे हैं। मोदीनगर की काबिल और तेज तर्रार एसडीएम का नाम भी शामिल है, कितने दुःख और आश्चर्य की बात है कि एक महिला होते हुए भी वह उस मां का दर्द नही समझ पाई जिसने अपना बच्चा खो दिया, वह परिजनों को उंगली दिखाकर धमका रही हैं पर स्कूल मालिक, प्रिंसिपल और स्कूल के ट्रांसपोर्ट इंचार्ज तक तो उनकी पहुंच ही नही हैं, जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। ऐसे संवेदना हीन अधिकारी किस प्रकार जनता की सुरक्षा कर पाएंगे ये भी सोचने का विषय हैं। जिले के जिलाधिकारी भी अपने विभाग की अधिकारी को बचाने की ही दलील दी रहे है। किसी के दुख दर्द में कोई साथ खड़ा होने की हिम्मत न दिखा पाए इसलिये जिले के प्रशासन की तरफ से संगीन धाराओं में 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया जो न्याय की नई परिभाषा को जन्म देता है। क्या माननीय मुख्यमंत्रीजी इस बात का संज्ञान लेंगे की अधिकारी दोषियों पर कार्यवाही करने की बजाए जनता पर मुकदमे ठोक रहे हैं। यह सब एक अनसुलझे सवाल को जन्म देता है कि क्या ऐसे अधिकारियों से न्याय सम्भव है आप ही सोचे। ऐसा लगता है की हमारे प्रदेश में मानवता शायद अब अंतिम दौर में है लंबे समय के संघर्ष के बाद परिवहन मंत्री और अधिकारियों ने तीन दिन में न्याय दिलाने की बात कही है, कही ऐसा न हो कि जैसे जैसे समय बीते पैसा अपना रंग दिखाना शरू कर दे। वैसे भी पहले हुये हादसों में आश्वासनो के अलावा कुछ नही मिला। आपको याद होगा एक मासूम छात्र अरमान की हत्या जब स्कूल में हुई थी ऐसा ही वादा तब भी किया गया था लेकिन आज तक माता पिता न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे है और हमारी मेमोरी इतनी कमजोर है कि हम कुछ ही दिनों में सब कुछ भूल जाते है और फिर बड़ी से बड़ी घटनाओं पर भी चुप्पी साध अपनी नार्मल लाइफ में मग्न हो जाते है, जो अधिकारियों और सरकार को न्याय की परिभाषा बदलने की हिम्मत देता है आखिर कब तक ऐसा ही चलता रहेगा। आप कब जागोगे क्या यह मासूम हमारे बच्चे जैसा नही था ? क्या माता पिता के आंसुओं के साथ न्याय होगा? कहते है मुख्यमंत्री जी ने घटना का सज्ञान लिया है और दुःख व्यक्त किया है, माननीय मुख्यमंत्री जी दुःख व्यक्त करने के साथ साथ आप दोषियों पर सख्त कार्यवाई के आदेश देकर स्कूल की मान्यता रद्द करे, इन स्कूल माफिया पर सख्त कार्यवाही करके प्रदेश में एक नजीर प्रस्तुत करें और अपने बुलडोजर में बैठाकर इस स्कूल के मालिक मोदी जिसके खिलाफ पहले ही संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज है, को दिल्ली से गाजियाबाद लाकर जेल में डालने की हिम्मत दिखाए। आशा है शिक्षा माफियाओं के ख़िलाफ़ कार्यवाई करते हुये प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी के हाथ नही कापेगे। बच्चे के माता पिता, प्रदेश के अभिभावक और आम जनता दोषियों के खिलाफ सख्त करवाई होता देखेंगे।