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धर्मनिरपेक्ष राजा छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराजा अग्रसेन वाटिका में मनाया जन्मोत्सव

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यूपी – गाजियाबाद कवि नगर स्थित महाराजा अग्रसेन वाटिका में छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि शिवाजी महाराज को उन चुनिंदा महान योद्धाओं में गिना जाता है जिन्होंने अपने दम पर ही मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे।

उन्होंने कहा यूं तो भारतीय सरजमीं के इतिहास में कई वीर सपूतों ने जन्म लिया और देश की आजादी के लिए कई बलिदान दिए लेकिन इनमें मुगलों के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाने वाले शिवाजी की गौरव गाथा का अपना ही एक विशेष स्थान है। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। हालांकि उनके जन्म को लेकर इतिहासकारों में हमेशा से ही मतभेद रहा है। कुछ इतिहासकार उनका जन्म 1630 में मानते हैं तो कुछ का मानना है कि उनका जन्म 1627 में हुआ था। शिवाजी के पिता शाहजी भोसले अहमदनगर सलतनत में सेना में सेनापति थे। उनकी माता जीजाबाई यूं तो स्वयं भी एक योद्धा थी लेकिन उनकी धार्मिक ग्रंथों में भी खासा रूचि थी। उनकी इस धार्मिक रुचि के चलते उन्होंने कम उम्र में ही शिवाजी को महाभारत से लेकर रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा दी थी। बचपन से ही शिवाजी का पालन-पोषण धार्मिक ग्रंथ सुनते सुनते हुआ, इसी के चलते उनके अंदर बचपन में ही शासक वर्ग की क्रूर नीतियों के खिलाफ लड़ने की ज्वाला जाग गई थी।


शिवाजी को भारत के एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है। शिवाजी ने गोरिल्ला वॉर की एक नई शैली विकसित की थी। शिवाजी ने अपने राज काज में फारसी की जगह मराठी और संस्कृत को अधिक प्राथमिकता दी थी।


वसंत पावडे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन परिचय देते हुए बताया कि कि किस तरह से अफजल खान का वध किया था व शाहिस्ता खान की उंगलियां काटी थी। उन्होंने कई सालों तक मुगल शासक औरंगजेब से लोहा लिया था। छत्रपति शिवाजी की मुगलों से पहली मुठभेड़ 1656-57 में हुई थी। उन्होंने मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और सैकड़ों घोड़ों पर अपना कब्जा जमा लिया था। कहा जाता है 1680 में कुछ बीमारी की वजह से अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनके बेटे संभाजी ने राज्य की कमान संभाली थी।
जहां एक ओर शिवाजी ने अपनी युद्धनिति से मुगलों की नाक में दम कर रखा था वहीं वो अपनी प्रजा का भी पूरा ध्यान रखते थे। शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे उनके दरबार और सेना में हर जाति और धर्म के लोगों को उनकी काबलियत के हिसाब से पद और सम्मान प्राप्त था। सेना और प्रशासनिक सेवा में उन्होंने कई मुसलमानों को अहम जिम्मेदारी दे रखी थी। इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना में अहम पदों पर थे वहीं सिद्दी इब्राहिम को उन्होने तोपखाना का मुखिया नियुक्त किया था।

छत्रपति के जन्मोत्सव के अवसर पर परमार्थ समिति के अध्यक्ष वी के अग्रवाल, आरपी शर्मा पूर्व डिप्टी मेयर प्रवीण चौधरी, राष्ट्रीय व्यापार मंडल के चेयरमैन अशोक भारतीय, बालकिशन गुप्ता, महेश कुमार आहूजा, वीरेंद्र कंडारे, प्रवीण बत्रा, सौरव यादव, रितेश वर्मा, आशु पंडित, मनोज कुमार, सौरव यादव, चंद्रभान, अमृता प्रीतम, तेजवीर सिंह, सरोज तिवारी, एनडीआरएफ के निरीक्षक प्रवीण दूधे, श्रीकृष्ण पाटील, दौलत, राजेंद्र खेरकर, सुरेश इंगले मौजूद रहे I