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18 फरवरी को स्थिर योग में मनाया जाएगा शिवरात्रि महोत्सव

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रात्रि 8: 02 बजे से आरंभ होगा गंगाजल से अभिषेक

आचार्य शिव कुमार शर्मा आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य :-
 इस वर्ष फाल्गुन का शिवरात्रि महोत्सव 18 फरवरी 2023 शनिवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि का व्रत निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी में रखा जाता है।
18 फरवरी को प्रातः सूर्य उदय से रात्रि 8:002 बजे तक त्रयोदशी तिथि है।
किंतु रात्रि 8:02 से चतुर्दशी आरंभ हो जाएगी इसमें भगवान शिव की पूजा, जागरण ,रुद्राभिषेक आदि मान्य है।
*ईशान संहिता* में लिखा है कि निशीथ काल में व्याप्त चतुर्दशी में ही ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था इस कारण यह महाशिवरात्रि कही जाती है। यथा
1.*शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्य समप्रभ:।तत्कालव्यापिनी ग्राह्यशिवरात्रिव्रते तिथि:*।।
2. *भवेद्यत्र त्रयोदश्यां भूतव्याप्ता महानिशा।


*शिवरात्रिव्रतं तत्र कुर्याज्जागरणं तथा।।*
सूर्योदय से सूर्यास्त तक त्रयोदशी हो। रात्रि में चतुर्दशी आ जाए तो निशिथ काल में व्याप्त चतुर्दशी का व्रत भी उसी दिन रखा जाएगा और व्रत का  पारायण भी चतुर्दशी में ही करना चाहिए ।यह मनुष्य को भक्ति और मुक्ति प्रदायक होता है।
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी  शनिवार को है शाम 5:41 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है  जिसमें राक्षस योग बनता है।
तत्पश्चात शनिवार को शाम को  श्रवण नक्षत्र आने पर स्थिर और सिद्धि योग बनेगा इस योग में शिवरात्रि का व्रत एवं परायण बहुत ही सफलता दायक है ।भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत समस्त मनुष्यों के लिए पुण्य फलदायक है।
कुछ साधक गंगा से गंगा जल लाकर शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करते हैं ।रात्रि 8:02 से चतुर्दशी आने पर ही शिवलिंग पर जलाभिषेक आरंभ होगा।
*शिवरात्रि पर कैसे करें पूजा*
प्रातः काल सूर्योदय से पहले जागरण करें ।नित्य क्रिया के बाद स्नान करें। और भगवान शिव के व्रत का संकल्प लें। घर के निकट किसी मंदिर में अथवा शिवलिंग पर दूध , दही गंगाजल अथवा पंचामृत से शिवलिंग पर अभिषेक करें ।
भगवान शिव को धतूरा ,बेलपत्र,  बेर के फल आदि चढ़ाएं।
जलाभिषेक के पश्चात व्रती लोग फलाहार कर सकते हैं अथवा दूध, चाय पी सकते हैं।
शिवरात्रि के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति नियम संयम का पालन करें ।
सत्य का आचरण करें ।
ओम नमः शिवाय का जाप करते रहें। और शिवपार्वती की स्तुति ,प्रार्थना करें।
शिवरात्रि के दिन कुछ व्यक्ति रुद्राभिषेक का आयोजन करते हैं।
रुद्राभिषेक में विभिन्न कामना की प्राप्ति के लिए भगवान शिव का गंगाजल के अतिरिक्त गन्ने का रस ,दूध दही शहद पुष्प  आदि से अभिषेक करते हैं।
रात्रि को चतुर्दशी आने पर रात्रि जागरण ,कीर्तन ,नाम संकीर्तन आदि का आयोजन करें और भगवान का व्रत का परायण करें।