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शिवशक्ति धाम डासना में मां बगलामुखी व चण्डी महायज्ञ के साथ 9 दिवसीय श्रीकृष्ण कथा महोत्सव आरम्भ

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यूपी – गाजियाबाद शिवशक्ति धाम डासना में श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर श्रीकृष्ण कथा महोत्सव आरम्भ हुआ। शिवशक्ति धाम डासना में 17 जनवरी 2023 से 111 दिवसीय माँ बगलामुखी व सहस्त्र चण्डी महायज्ञ चल रहा है। इसी के साथ ही यह श्रीकृष्ण कथा महोत्सव आयोजित किया गया है। कथा महोत्सव के मुख्य यजमान सतेंद्र चौहान और उनकी धर्मपत्नी शशि चौहान है।
श्रीकृष्ण कथा महोत्सव में उपस्थित भक्तगणों को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व और मानवता के इतिहास में श्रीमद्भगवद्गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जो युद्ध के मैदान में अवतरित हुआ है।महाभारत जैसे भयंकर महायुद्ध जिसे टालने के लिये योगेश्वर श्रीकृष्ण ने बहुत प्रयत्न किया परन्तु जब दुष्ट राजसत्ताधारी चाटुकारों की मीठी और हानिकारक बातों और अपने क्षुद्र स्वार्थ और अहंकारों से प्रेरित होकर महाविनाश के लिये तैयार हो जाते हैं तो उन्होंने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि सात्विक और धार्मिक शक्तियों को उनसे लड़ना ही पड़ता है। धर्म की विवशता और अधर्म की पाश्विकता के संघर्ष में धर्म की विजय के लिये उत्प्रेरक तत्व का नाम श्रीमद्भगवद्गीता है।श्रीमद्भगवद्गीता की व्यापकता को इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि श्रीमद्भगवद्गीता के अवतरण के बाद से आज तक जितने भी धार्मिक, आध्यात्मिक व दार्शनिक ग्रन्थ लिखे गए हैं उनमें श्रीमद्भगवद्गीता की छाप बिल्कुल स्पष्ट है। यहाँ तक की कुरआन और बाइबिल भी श्रीमद्भगवद्गीता की नकल मात्र है। आज हमको समझना ही पड़ेगा की सम्पूर्ण विश्व और मानवता की रक्षा का एकमात्र मार्ग केवल श्रीमद्भगवद्गीता का ही  है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज सारे विश्व के हर विश्वविद्यालय में श्रीमद्भगवद्गीता का पठन पाठन अनिवार्य रूप से होना चाहिये ताकि सम्पूर्ण विश्व धर्म और अधर्म के अंतर को समझ सके। आज सम्पूर्ण विश्व धर्म और अधर्म के अंतर को भूल चुका है। यदि विश्व इस अंतर को नही समझेगा तो सम्पूर्ण विश्व और मानवता का विनाश सुनिश्चित ही है।
आज हिन्दुओ की दुर्दशा पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता को भुलाने का ही परिणाम हमने हजार वर्ष की गुलामी, शोषण और दमन के रूप में झेला है। अगर आज भी हमने इस सच को स्वीकार नही किया तो आगे भविष्य बहुत भयावह हो सकता है।उन्होंने यह संकल्प लिया कि वो योगेश्वर श्रीकृष्ण के संदेश श्रीमद्भगवद्गीता को घर घर तक पहुँचाने के लिये अपनी अंतिम सांस तक प्रयास करेगे और सनातन धर्म की विजय प्राप्त होने तक संघर्ष करते रहेंगे, चाहे कितने की जन्म क्यो ना लगाने पड़े।
आज कथा के अंत मे उन्होंने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता हमे ज्ञान देती है कि धर्म और अधर्म के युद्ध मे जो तटस्थ हैं, उन्हें भी अधर्म की ओर ही समझना चाहिये। आज कथा महोत्सव में साधु संतों के साथ मंगल सिंह, बृजमोहन सिंह, अंकुर जावला, सिकंदर शर्मा भी उपस्थित रहे।