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आज उभरती नई विश्व पद्धति के नेतृत्व की पहली पंक्ति में भारत का होना आवश्यक है : अनिल अग्रवाल

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यूपी – गाजियाबाद कासा लीमा बैंकट , जी टी रोड पर एक अत्यंत विशेष और अत्यंत विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वर्ल्ड कंस्टीटूशन एन्ड पार्लियामेंट एसोसिएशन (WCPA)  के  इंडिया चैप्टर ( राष्ट्रीय सैनिक संस्था ) के द्वारा यह आयोजन किया गया।

WCPA के ग्लोबल अध्यक्ष डा ग्लेन टी मार्टेन और मिस फाइलिस ट्रक(अमेरिका) ने बताया की WCPA को 1958 मे अमेरिका मे स्थापित किया गया जिसने संयुक्त राष्ट्र की असफलताओ को देखते हुए एक नए वर्ल्ड आर्डर की कल्पना की और बहुत सारे देशों के विशिष्ट व्यक्तियों के 25 साल तक चले मंथन के बाद एक “ अर्थ कंस्टीटूशन “ बनाया गया। अर्थ कंस्टीटूशन के अंतर्गत अलग अलग देशों मे प्रोविशनल वर्ल्ड पार्लियामेंट ( PWP ) आयोजित की जाती रही है | हिंदुस्तान मे 1985 मे एक PWP आयोजित की गई थी जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी ने किया था

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य सभा सांसद अनिल अग्रवाल ने कहा की समय बदल चुका है एक नई विश्व पद्धति उभरती हुई नजर आ रही है। इस नई विश्व पद्धति के नेत्रत्व की प्रथम लाइन मे भारत का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा की आज जो प्रस्ताव यहां रखा जा रहा है में उसे प्रधान मंत्री और लोक सभा के अध्यक्ष के पास इसी सत्र में पहुंचाऊंगा।

विशिष्ट अतिथि टेम्पल ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग के महासचिव डा ए के मर्चेन्ट ने सुझाव दिया की प्रथम चरण मे विटो पावर के इस्तेमाल के लिए गाइड लाइंस बना देनी चाहिए।

आंध्रा प्रदेश के सलाहकार और विशिष्ट अतिथि राजन छिब्बर ने कहा की हम वासुदेव कुटुंबकम की बात तब से करते आ रहे है जब बहुत सारे देशों को उंगली पकड़कर चलना भी नही आता था। झांसी मण्डल के पूर्व डिवीजनल कमिश्नर डा अजय शंकर पांडे ने बताया की भारत पहले से स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रजों के अध्यादेशों में वीटो पावर का विरोध करता रहा है। उन्होंने कहा की यह कार्य चरणों में किया जाना चाहिए।

अध्यात्म गुरु डॉक्टर पवन सिन्हा ने कहा की संविधान की धारा 51 मे फेडरल विश्व सरकार के लिए वकालत की गई है। हम चाहते हैं की सिक्योरिटी कौंसिल के 5 परमानेंट मेंबर्स को भी बदला जाए !

WCPA के इंडिया चैप्टर ( राष्ट्रीय सैनिक संस्था ) के अध्यक्ष कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने खुलासा किया की दूसरे महायुद्ध के बाद जब संयुक्त राष्ट्र का गठन हो रहा था तब 26 जून 1945 को भारत के प्रतिनिधि डा रामास्वामी मुंडलिआर ने यू एन चार्टर पर हस्ताक्षर करने से पहले विटो पावर की समीक्षा के लिए 10 वर्ष का समय तय किया था। यह बात संयुक्त राष्ट्र की धारा 109 मे अंकित है। परंतु यह नही हुआ अर्थात 1955 मे तकनीकी दृष्टि से विटो पावर समाप्त हो चुकी थी या मर चुकी थी। राजस्थान के राजेश चौखर ने आवाहन किया की जो विटो पावर 1955 मे ही समाप्त हो जानी चाहिए थी उस लाश को क्यों हम अब तक ढो रहे है।

सर्व सम्मती से संकल्प लिया गया की हर समय, हर स्तर पर और हर तरह से यह बात आम आदमी तक पहुंचाई जाएगी की हमारी अधिकतर समस्याओ की जड़ मे है पाँच शक्तिशाली देशों की  विटो पावर  इसे खत्म करने के लिए हमे एक जूट हो जाना चाहिए। निर्णय लिया गया की सरकार से मांग की जाएगी की संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेम्बली मे विटो पावर समाप्ति का मुद्दा उठाया जाए। अभी हाल मे हुई एक अन्तराष्ट्रिय बैठक मे 25 देश यह मांग पहले ही कर चुके हैं।