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कैंसर को कैसे पहचाने और बचाव करने को लेकर डॉ बीपी त्यागी ने किया जागरूक

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कैंसर जागरूकता दिवस पर किया जागरूक



यूपी – गाजियाबाद जागरूकता की कमी, अशिक्षा, कैंसर का भय और अन्य करणों के कारण भारत में लगभग 50% कैंसर का पता देर से चलता है।

प्रोफेसर (डॉ ) बी पी त्यागी का मानना है कि भारत में 70% कैंसर के लिए रोकथाम योग्य कारक हैं, जिनमें से 40% तंबाकू से संबंधित हैं, 20% संक्रमण से संबंधित हैं और 10% अन्य कारणों के कारण हैं।
कैंसर के बारे में लैंसेट (एक जर्नल )की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हृदय रोग के बाद दूसरा सबसे बड़ा मौत का कारण कैंसर है, जिसमें कहा गया है कि तंबाकू का उपयोग 14 प्रकार के कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है। नाक, कान, गला के कैंसर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक तंबाकू (बीड़ी, सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, गुलमंजन, हुक्का इत्यादि) और शराब हैं, खासकर जब एक साथ उपयोग किया जाता है। 85 प्रतिशत सिर और गर्दन के कैंसर तंबाकू से जुड़े होते हैं। अन्य जोखिम कारकों में औद्योगिक विषाक्त पदार्थों (जैसे, लकड़ी की धूल, पेंट, पोल्युशन, आहार में मिलावट संबंधी कारक, मानव पेपिलोमावायरस, एपस्टीन-बार वायरस, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), एस्बेस्टस एक्सपोजर और विकिरण शामिल हैं।
एक सेंटीमीटर से बड़ी गांठ या जो ठीक नहीं होता है, लगातार गले में खराश, निगलने में कठिनाई और आवाज़ बैठना, दांत का हिलना, अन्य लक्षण जो आप अनुभव कर सकते हैं: मुंह से रक्तस्राव, जबड़े की सूजन, बार-बार जमाव, साइनस संक्रमण जो उपचार से ठीक नहीं होते, सिरदर्द, कान का दर्द, चेहरे का सुन्न होना या पक्षाघात, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और वजन व भूख का अस्पष्टीकृत कम होना।
अब इस समय का एनसीआर में पोल्युशन भी अगर 60 दिन से ज्यादा रहता है तो यह कैंसर का कारण हो सकता है।

क्या न खाये ः

तंबाकू, पानमसाला, सुरती, शराब, स्पाइसी फूड्स, आग पे पकाया मांश।

दांत का अपने आप हिलना व मसूड़े से खून आना, मुँह में सफ़ेद, काले, लाल दाग (प्री कैंसर कंडीशन ), जीभ या मुँह में ऐसा छाला जो ठीक ना हो रहा हो। आवाज़ का बदलना, कुछ अटका लगना, खाते हुए बार बार फंदा लगना। नाक से खून का आना व नाक के आसपास सूजन बने रहना । गर्दन में 1 cms से बड़ी गाँठ जो ठीक नहीं हो रही हो ।कान में ब्लड के साथ मवाद का बहना और दर्द बने रहना। सब कैंसर से मिलते लक्षण है।

बचाव ः-

खाने में किसी भी इर्रिटेन्त से बचना।
समय से साधारण खाने का सेवन करना।
रात में सोने से पहले खाने और सोने के। बीच में दो घंटे का गैप रखना ।
पानी व हल्दी का सेवन अधिक मात्रा में करना इत्यादि ।