Screenshot_20221103-203604_YouTube
IMG-20230215-WA0382
a12
IMG-20230329-WA0101
IMG-20240907-WA0005
PlayPause
previous arrow
next arrow

हस्तलेख विधि के अंतर्गत हस्तलेख का वैज्ञानिक परीक्षण आता है : अभिषेक वशिष्ठ

Share on facebook
Share on whatsapp
Share on twitter
Share on google
Share on linkedin

यूपी – गाजियाबाद अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रहस्तलेख विशेषज्ञ प्रायः अक्षरों की बनावट को देखकर अपनी रायदेश-उत्तराखंड द्वारा स्वाध्याय मंडल के माध्यम से अधिवक्ताओं को निशुल्क विधिक ज्ञान उपलब्ध कर रहा है। इसी क्रम मे आज के वर्चुअल स्वाध्याय मंडल का आयोजन संगठन द्वारा किया गया जिसमें अभिषेक वशिष्ठ ने हस्तलेख विधि विषय पर अपने वक्तव्य में बताया कि उक्त विधि के अंतर्गत हस्तलेख का वैज्ञानिक परीक्षण आता है, जिसका मुख्य उ्देश्य यह निश्चित करना होता है कि कोई लेख किसी व्यक्ति विशेष का लिखा हुआ है या नहीं।

हस्तलेख विशेषज्ञ प्रायः अक्षरों की बनावट को देखकर अपनी राय दिया करते है। भारत में इस विज्ञान के प्रथम विशेषज्ञ श्री चार्ल्स आर. हार्डलेस थे जो सन 1884 में कलकत्ते के तारघर में लिपिक थे। उनकी हस्तलेखन विज्ञान में दक्षता को देखकर 1980 में उनको भारत सरकार ने अपना हस्तलेख विशेषज्ञ नियुक्त किया था।

हस्तलेख किसी उपकरण जैसे पेन, पेंसिल, डिजिटल माध्यम से लिखी जाती है और हर एक व्यक्ति के लिखने का तरीका अलग-अलग होता है इस लेखन की प्रक्रिया से इंसान की पहचान भी कर सकते हैं यह लिखने का गुण सभी में अलग-अलग होता है किन्ही भी दो मनुष्य की लिखाई एक जैसी होने का अवसर बहुत कम होता है। लेखन केवल हिंदी ,अग्रेजी ही नहीं अपितु एक दूसरे को समझाने का जरिया है जो किसी भी लिपि के माध्यम से हो सकता है। इंसान की लिखाई उसकी उंगलियों की छाप जैसी होती है जिसकी नकल करना बहुत ही कठिन कार्य होता है, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की लिखाई की नकल कर भी लेता है तो वह उसे सही प्रकार से नहीं लिख सकता है अर्थात उसकी पूर्णतः नकल नहीं कर पाता है। हस्तलेखन तीन प्रकार का होता है कर्सिव, प्रीकर्सिव एवम प्रिंट स्टाइल।

न्यायालय में यह विवाद बहुधा उठा करते हैं कि अमुख लेख किस व्यक्ति का लिखा हुआ है उन परिस्थितियों में हस्तलेख  विशेषज्ञों की विशेष आवश्यकता होती है। सामान्यतः न्यायालय में किसी अन्य व्यक्ति की राय को ग्राहय नहीं किया जाता है किंतु भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-45 के अंतर्गत हस्तलेख विशेषज्ञ की राय ग्राह्य होती है और उसका विशेष महत्व भी होता है। उक्त धारा-45 के अंतर्गत उन व्यक्तियों की राय भी ली जा सकती है जो उस व्यक्ति के लेख से सुपरिचित होते हैं और उसे पहचानने में अपने को समर्थ कहें। अधिवक्ता क्योंकि विशेषज्ञ नहीं होते ही हस्तलेख विधि का तो फिर उस क्षेत्र के विशेषज्ञ को बुलाया जाता है जिससे अभियुक्त को इस हस्तलेख के अभाव मे वह छूट न जाए।अधिवक्ता को इसका ज्ञान होना आवश्यक है। लेखन के सिद्धांत है आवश्यक है कि वो परिपक्व हो, प्राकृतिक लेखन हो, एक व्यक्ति दो समान हस्ताक्षर नहीं कर सकता और उम्र के साथ उसके लेखनशैली बदलती जाती है।
कार्यक्रम का संचालन रुड़की के दीपक भारद्वाज एडवोकेट ने किया। सजीव प्रसारण में विपिन कुमार त्यागी श्रीमती आशा रानी के पी सिंह अरुण कुमार वरुण त्यागी  राजीव गुप्ता सुनीता वर्मा श्रद्धा चौहान सारिका त्यागी संजीव गर्ग  आदि अन्य अधिवक्ताओं की उपस्थित रही।