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कालसर्प की शांति के लिए किस दिन किया जाता है विशेष अनुष्ठान

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2 अगस्त को मनाया जाएगा नाग पंचमी का त्यौहार

सर्प भारत की संस्कृति के प्रमुख अंग रहे हैं

आचार्य शिव कुमार शर्मा – 2 अगस्त 2022  दिन मंगलवार श्रावण शुक्ल पंचमी दिन मंगलवार में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से धाता  योग बन रहा है। इसके साथ-साथ शिव योग भी बन रहा है। धाता और शिव योग में नाग पूजन, दर्शन बहुत ही दुर्लभ माना जाता है।
शिवयोग में भगवान शंकर के गले में सुशोभित नाग देवता सावन के महीने में विशिष्ट फल देने वाले हैं।
भारतीय संस्कृति में नाग पूजा सृष्टि के आरंभ से ही प्रचलित है। भगवान शिव के गले का हार नाग, क्षीरसागर पर भगवान विष्णु की शैय्या स्वयं शेषनाग। भगवान के साथ-साथ विश्वपूजित होते हैं।
भारतवर्ष में वैसे भी नागवंश की परंपरा रही है ।
महाभारत काल में पांडवों की माता कुंती नागकन्या थी। पूरा महाभारत काल नागों की कथाओं से भरा पड़ा है। बाल्यावस्था में कौरवों ने विशेषकर दुर्योधन ने भीम को मारने के षडयंत्र में विषैली  खीर खिला कर गंगा में छोड  दिया था। किंतु वहां पर नाग देवता ने उनका सारा विष सोखकर उनकी रक्षा की थी और उन्हें 10000 हाथियों के बल का वरदान भी दिया था।
भगवान कृष्ण ने बचपन में मथुरा में कालिया नाग का मंथन कर उसे सागर में जाने का आदेश दिया था।
नाग हमारी संस्कृति का प्रमुख अंग है और प्रकृति के लिए भी बहुत अच्छे माने गए हैं। उन्हें किसानों का मित्र भी माना गया है। जंगल में वे खेतों में किसानों को हानि पहुंचाने वाले चूहे आदि जंतुओं से किसानों की सहायता करते हैं।
सांप को दूध पिलाने की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है।
भारतीय समाज में नाग को अपने पितृ व देवता का भी प्रतीक माना जाता है। यदि सपने में नाग दिख जाए अथवा घर में कोई सर्प निकल आए तो उसे देवता मानकर अधिकतर छोड़ दिया जाता है। और होता भी ऐसा ही है कि नाग देवता पितरो के रूप में कभी कभी दर्शन भी देते हैं।

क्या है कालसर्प दोष और उसके निवारण का उपाय

जन्म कुंडलियों में आजकल कालसर्प दोष का बहुत ही बोलबाला है। कुंडलियों में यदि राहु और केतु के एक ही ओर समस्त ग्रह आ जाएं तो कालसर्प दोष बनता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति समाज में उचित स्थान नहीं पाता है। जीवन अभावग्रस्त रहता है। कार्य बनते बनते रह जाते हैं। अपनी योग्यता के अनुसार उसे जिस स्थिति में उसे होना चाहिए वह उसको प्राप्त नहीं होती है। यह एक प्रकार का शाप होता है जो प्रारंब्ध में सांप को मारना, पेड़ कटवाना, दीन दुखी, गरीबों को सताना आदि का पाप इस जन्म में भाग्य बनकर व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग अथवा पितृदोष बनकर आता है। जिसका भुगतान व्यक्ति को स्वयं किसी न किसी रूप में करना पड़ता है।
इस कालसर्प दोष की शांति के लिए महामृत्युंजय सर्पगायत्री जाप अथवा त्रंबकेश्वर आदि तीर्थ स्थानों में सर्प पूजा का विधान है।

नाग पंचमी के पूजन के मुहूर्त

यद्यपि नाग पूजा नाग पंचमी के दिन शिव योग शाम के 18:35 बजे तक है जो सर्वथा सदैव पूजनीय मुहूर्त है केवल राहुकाल 3:00 बजे से 4:30 बजे तक त्याज्य  है।
सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति इस दिन चांदी अथवा तांबे का सांप का जोड़ा लेकर  भगवान शिवलिंग पर चढ़ाएं। ॐ नमः शिवाय का अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। सर्प गायत्री का जाप करें तो कालसर्प दोष से कुछ ना कुछ राहत मिलती है।

सर्प मंत्र इस प्रकार हैं
1.ओम् नवकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि। तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
2.ओम् नमोऽस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवी मनु।
.येऽन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नमः।
3.ॐ कुरु कुल्येहूॅऺफट् स्वाहा।
इन सर्प मंत्रों के अलावा *ओम् नमः शिवाय* का जाप अथवा महामृत्युंजय का जाप भी विशेष लाभकारी होता है।