यूपी – गाजियाबाद नगर आयुक्त की कार्य कुशल योजनाओं के तहत गाजियाबाद शहर के आवासों को मिलेगी यूनिक आईडी निगम जारी कर रहा है 17 अंकों का यूआईडी नंबर।
गाजियाबाद शहर के निवासियों को निगम की कई योजनाओं के लाभ मिल रहे हैं जिनको महापौर आशा शर्मा द्वारा हरी झंडी देकर शहर वासियों की सुविधा के लिए प्रारंभ किया गया है। इसी कड़ी को आगे जोड़ते हुए गाजियाबाद नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाले आवासों का भी एक यूनिक यूआईडी नंबर जारी किया गया है जिसकी कार्यवाही शुक्रवार को वसुंधरा जोन के अंतर्गत आने वाले ब्रिज विहार शहर से शुरू की गई।
नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तवर ने बताया कि गाजियाबाद नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाली संपत्ति का रिकॉर्ड व्यवस्थित करने के क्रम में शहर के आवासों को यूनिक आईडी दी जा रही है जिसमें 17 अंकों का यूआईडी नंबर जारी किया जा रहा है जिसका शहर वासियों को लाभ प्राप्त होगा। किस आवास का कितना क्षेत्रफल है, किस आवास का कितना टैक्स होना चाहिए, आवास शहर में किस लोकेशन पर है, इस प्रकार की अन्य कई सुविधाएं गाजियाबाद नगर निगम इस रिकॉर्ड से मेंटेन कर पाएगा। जारी की जाने वाले 17 डिजिट की यूआईडी नंबर में पहले 2 अंक जिसमें स्टेट कोड को दर्शाया गया है, उसके उपरांत 3 नंबर जिसमें यूएलबी कोड को दर्शाया गया है उसके उपरांत 2 अंक जिसमे जोन कोड को दिखाया गया है तथा इसके बाद 3 अंक में वार्ड कोर्ट को दर्शाया गया है 6 अंक के अंदर रनिंग सीरियल नंबर को दिखाया गया है इसके बाद लास्ट में अल्फाबेटिक से प्रॉपर्टी का टाइप दिखाया गया है कि वह रेजिडेंशियल है या कमर्शियल, इस प्रकार कुल 17 नंबरों का यूआईडी नंबर जनरेट कर गाजियाबाद नगर निगम द्वारा आवासों के बहार नंबर प्लेट लगाई जा रही है।
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ संजीव सिन्हा को महापौर तथा नगर आयुक्त द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि संपत्ति संबंधित सभी ब्यूरो की गाजियाबाद शहर वासियों को पारदर्शिता रहने के लिए जल्द से जल्द जोन स्तर पर प्रत्येक मकान के बाहर गाजियाबाद नगर निगम द्वारा दिए गए यूआईडी नंबर को सकुशल लगाया जाए। डॉक्टर संजीव सिन्हा द्वारा बताया गया कि शहर में संपत्ति के ब्योरे को डिजिटल रूप से मेंटेन करने के लिए कार्य चल रहा है जिसके अंतर्गत यूआईडी नंबर भी प्रत्येक संपत्ति का जनरेट किया गया है कार्य जीआईएस की टीम द्वारा किया जाएगा शहर वासियों को इसका लाभ प्राप्त होगा 17 अंकों के लास्ट में अल्फाबेटिक आर से रेजिडेंशियल तथा सी से कमर्शियल की जानकारी भी प्राप्त हो जाएगी और शहर को इसका लाभ प्राप्त होगा। ऐसे कमर्शियल तथा रेजिडेंशियल क्षेत्र जो टैक्स के दायरे से यदि बचे हुए हैं तो वह भी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे और गाजियाबाद नगर निगम की आय भी प्रभावित होगी।