Screenshot_20221103-203604_YouTube
IMG-20230215-WA0382
a12
IMG-20230329-WA0101
PlayPause
previous arrow
next arrow

लोकतंत्र की पाठशाला थे अटल जी

Share on facebook
Share on whatsapp
Share on twitter
Share on google
Share on linkedin
डॉ. चेतन आनंद

25 दिसंबर | अटल बिहारी वाजपेयी जयंती विशेष

भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक सफल प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के शिक्षक भी थे। उनके जीवन से जुड़े किस्से आज भी सत्ता, विपक्ष और समाज—तीनों के लिए सीख हैं। शोर-शराबे और कटुता से भरे मौजूदा राजनीतिक माहौल में अटल जी का व्यक्तित्व शालीनता, संवाद और मानवीयता की मिसाल के रूप में सामने आता है।

संसद में तीखी बहस के दौरान भी अटल जी मुस्कान और शब्दों की मर्यादा से माहौल को सहज बना देते थे। उनका यह कथन—“लोकतंत्र में विरोध सरकार की कमजोरी नहीं, ताकत होता है”—आज भी असहमति के सम्मान का मूल मंत्र है। वे जानते थे कि संवाद से ही लोकतंत्र मजबूत होता है।

1996 में विश्वास मत हारने के बाद संसद में दिया गया उनका ऐतिहासिक वक्तव्य—“सरकारें आती-जाती रहती हैं, पार्टियाँ बनती-बिगड़ती रहती हैं, लेकिन देश रहना चाहिए”—यह दर्शाता है कि उनके लिए सत्ता नहीं, राष्ट्र सर्वोपरि था। यही दृष्टि उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है।

लाहौर बस यात्रा के दौरान आलोचनाओं के बावजूद उनका यह कहना—“मित्र बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं”—शांति और साहस का प्रतीक बन गया। अटल जी के लिए कूटनीति केवल रणनीति नहीं, भरोसे की पहल थी।

कवि-हृदय वाले प्रधानमंत्री अटल जी स्वयं कहते थे—“प्रधानमंत्री संयोग से हूँ, कवि स्वभाव से।” सत्ता के शिखर पर रहकर भी संवेदनशीलता और सादगी उनके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा रही। हार में भी वे गरिमामय रहे और कहते थे—“हार हमें और बेहतर बनने का अवसर देती है।”

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। युवाओं को दिया गया उनका संदेश—“पहले अच्छा इंसान बनो, नेता अपने आप बन जाओगे”—आज भी प्रासंगिक है।

अटल बिहारी वाजपेयी के ये प्रसंग केवल स्मृतियाँ नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जीवंत पाठशाला हैं, जो सिखाती हैं कि दृढ़ता के साथ शालीनता और सत्ता के साथ संवेदना संभव है।


हाइलाइट्स
• विरोध को लोकतंत्र की ताकत मानते थे अटल जी
• सत्ता नहीं, राष्ट्र सर्वोपरि था उनका मूल मंत्र
• लाहौर बस यात्रा से दिया शांति का साहसी संदेश
• कवि-हृदय और सादगी ने बनाया उन्हें विशिष्ट
• विरोधी भी करते थे उनके व्यक्तित्व का सम्मान
• युवाओं को दिया “अच्छा इंसान बनने” का संदेश

लेखक
डॉ. चेतन आनंद
(कवि-पत्रकार)