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मौजूदा दौर में फिर जरूरत है प्यारे लाल शर्मा जैसे जनप्रतिनिधियों की : इंद्रजीत सिंह टीटू

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यूपी – गाजियाबाद आज के मौजूदा दौर में फिर जरूरत है जन नायक स्वर्गीय प्यारे लाल शर्मा जी जैसे समाज सेवियों की जन सेवकों की जनप्रतिनिधियों की।


इंदरजीत सिंह टीटू राष्ट्रीय महासचिव अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ प्रधान गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा ने पूर्व विधायक स्वर्गीय प्यारे लाल शर्मा के जन्मदिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि आज के दौर में जिस तरीके से राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है अब राजनीति एक धंधा बन गया है ना कि जन सेवक बन कर सेवा करना। आज हम लिस्ट उठाकर अपने इर्द-गिर्द समाज में देखने का प्रयास करेंगे तो 100 में से एक व्यक्ति ऐसा जनप्रतिनिधि चुना हुआ नजर आता है जिसका मकसद अपने क्षेत्र के लोगों के साथ परिवार का रिश्ता हो जिसका केवल मकसद समाज सेवा करना हो अपनी जनता के सुख दुख में खड़े रहने का हो। वह व्यक्ति समाज में सेवा भाव के लिए चुन कर आया हो राजनीति को एक व्यापार समझ कर ना आया हो  इसलिए आज फिर से समाज में मांग हो रही है जनसेवक पूर्व विधायक प्यारे लाल शर्मा जी जैसे व्यक्तियों की क्योंकि ना पहले टिकट लेने के लिए सभी नुक्ते साम दंड भेद करने पड़ते थे ना ही अपने नेताओं की परिक्रमा करनी पड़ती थी ना ही बड़े-बड़े गिफ्ट देने पड़ते थे और ना ही आवागमन के लिए बड़े लाव लश्कर की जरूरत होती थी। जनप्रतिनिधि के पास इतनी क्षमता ही नहीं होती थी कि यह सारे नुक्ते अपना पाए। वह समाज में केवल सेवा भाव के लिए चुन के आता था व्यापार करने के लिए नहीं। आज बिल्कुल उलट हो गया है आपको टिकट लेने के लिए सभी तरीके के नुक्से अपनाने पड़ेंगे नहीं तो टिकट ही नहीं मिलेगा जो सभी नुक्ते अपनाएं गा वही टिकट लेकर आ जाएगा। आज किसी भी जनप्रतिनिधि की बिना लाव लश्कर के पहचान नहीं बनती बड़ी-बड़ी गाड़ियों के हथियार बंद सुरक्षाकर्मियों के बिना छोटी गाड़ी में जनप्रतिनिधि चलना पसंद नहीं करते तो इसी परिपेक्ष में पैसा कमाना पहला मकसद हो गया है सेवा भाव खत्म होता जा रहा है। अब फिर से जनता स्वर्गीय तेजा सिंह जी जैसे विधायकों की स्वर्गीय प्यारेलाल जैसे विधायकों की इच्छा जाहिर कर रही है।
इसलिए आज जरूरत है स्वर्गीय प्यारेलाल शर्मा जी जैसे जन सेवकों की जिन्होंने कभी किसी का काम करने से पहले ना तो कभी जाति पूछी हो ना कभी धर्म पूछा हो ना कभी क्षेत्र पूछा हो घर पर चलके आने वाले के लिए एक ही मकसद होता था जनप्रतिनिधि का कि जो व्यक्ति मेरे पास चलकर आया है मुझे हर संभव प्रयास करना चाहिए कि मैं इस के सुख दुख में काम आ सकूं
आज हम सबको जरूरत है स्वर्गीय प्यारेलाल जी के उस कार्यकाल को याद करके उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों और अच्छे पद चिन्हों पर चलकर अपने को अच्छा जनसेवक बनाने की।