यूपी – गाजियाबाद नगर निगम सदन की बैठक में नगर निगम की दुकानों का किराया वृद्धि के लिए पिछले 25 साल से 10% किराया वृद्धि पारित प्रस्ताव के विरोध में आए दिन हो रहे विरोध प्रदर्शनों देखते हुए गाजियाबाद की महापौर आशा शर्मा ने मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखा।
महापौर आशा शर्मा ने बताया गाजियाबाद नगर निगम के अन्तर्गत कुल 1702 दुकानों/ठियों के किराये में वृद्धि न होने के कारण नगर निगम को औसतन 300/- से लगभग 1500/- रूपये मासिक प्राप्त हो रहा है जबकि वर्तमान में प्रचलित बाजार किराया दर 10000/- से 20000/- रूपये प्रति माह है।
नगर निगम की दुकानों का किराया राशि बढ़ाये जाने हेतु प्रस्ताव सं0 497 दिनांक 07.06.2022 को आहुत मा0 निगम सदन की बैठक में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया गया। मा0 निगम सदन द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि विगत 25 वर्षों से दुकानों के मासिक किराये में 10 प्रतिशत की वृद्धि तथा नामान्तरण की स्थिति में 3.00 लाख रूपये प्रमियम स्वरूप नगर निगम में जमा कराये जायें, जबकि इस सम्बन्ध में वर्ष 1997 में शासन द्वारा जारी शासनादेश सं0 406/नौ-1997-95/जनरल/1996 नगर विकास अनुभाग-9 लखनऊ दिनांक 10.02.1997 के अनुसार नगर निगम की सम्पत्तियों का किराया वर्तमान बाजार दर पर निर्धारित करने हेतु जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किराये की सर्कल दरों अनुसार लिये जाने के आदेश दिये गये हैं। उन्होंने बताया निगम सदन की बैठक में पारित प्रस्ताव सं0 497 दिनांक 07.06.2022 पर नगर निगम की दुकानों के किरायेदारों/दुकानदारों द्वारा असहमति जताते हुए आये दिन विरोध प्रर्दशन किये जा रहे हैं जिसे दृष्टिगत रखते हुए मेरे द्वारा नगर आयुक्त को दुकानों के किराये में वृद्धि के सम्बन्ध में निगम सदन के प्रस्ताव से अवगत कराने तथा शासनादेश सं0 406/नौ-1997-95/जनरल/1996 नगर विकास अनुभाग-9 लखनऊ दिनांक 10.02.1997 के अनुसार कार्यवाही करने के सम्बन्ध में शासन से मार्गदर्शन प्राप्त करने के निर्देश दिये गये है। निगम सदन द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार वर्तमान में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। नगर आयुक्त द्वारा दुकानों की किराया-वृद्धि निगम सदन की बैठक में पारित प्रस्ताव सं0 497 दिनांक 07.06.2022 के अनुसार किये जाने अथवा शासनादेश सं0 406/नौ-1997-95/जनरल/1996 नगर विकास अनुभाग-9 लखनऊ दिनांक 10.02.1997 में निर्दिष्ट व्यवस्था के अनुसार किये जाने के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु शासन को पत्र प्रेषित किया गया है। इस सम्बन्ध में शासन से जो भी मार्गदर्शन प्राप्त होगा उसी का पालन करते हुए कार्यवाही की जायेगी।