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विश्व नशा मुक्ति दिवस पर किया गया विचार गोष्ठी का आयोजन

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यूपी – गाजियाबाद विश्व नशा मुक्ति दिवस विचार गोष्ठी में प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मऋषि विभूति बी के शर्मा हनुमान ने बताया कि किसी भी प्रकार का नशा आपका या आपके परिवार का विनाश कर सकता है। आइए आज विश्व नशा मुक्ति दिवस के मौके पर संकल्प ले की हम किसी एक परिवार को इस से छुटकारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
यह दिवस प्रत्येक वर्ष 26 जून को मनाया जाता है। नशीली वस्तुओं और पदार्थों के निवारण हेतु ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ ने 7 दिसम्बर, 1987 को प्रस्ताव संख्या 42/112 पारित कर हर वर्ष 26 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस’ मानाने का निर्णय लिया था। यह एक तरफ़ लोगों में चेतना फैलाता है, वहीं दूसरी ओर नशे की लती लोगों के उपचार की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। ‘अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस’ के अवसर पर मादक पदार्थ एवं अपराध से मुक़ाबले के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का कार्यालय यूएनओडीसी एक नारा देता है। इस अवसर पर मादक पदार्थों से मुक़ाबले के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाये गये क़दमों तथा इस मार्ग में उत्पन्न चुनौतियों और उनके निवारण का उल्लेख किया जाता है। ’26 जून’ का दिन मादक पदार्थों से मुक़ाबले का प्रतीक बन गया है। इस अवसर पर मादक पदार्थों के उत्पादन, तस्करी एवं सेवन के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराया जाता है l बी के शर्मा हनुमान ने बताया डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 25 करोड़ से अधिक लोग सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, गुटखा, पान मसाला किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। पूरे विश्व में धूम्रपान करने वाले लोगों की 12% आबादी भारत में है, तंबाकू से संबंधित बीमारियों से लगभग 50 लाख लोग प्रतिवर्ष मारे जाते हैं। जिनमें करीब डेढ़ लाख महिलाएं हैं। भारत पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर है, जहां सबसे अधिक धूम्रपान किया जाता है। हर दिन लगभग 2500 लोगों की धूम्रपान से मौत होती है। एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 11 मिनट कम हो जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी बयान के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 6 प्रतिशत महिलाएं एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 12 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू से बने उत्पादों का सेवन करती हैं। महिलाओं में अधिक धूम्रपान का कारण स्तन कैंसर के रूप में भी देखा जा रहा है। सर्वे में देखा गया है कि 53% लोगों ने इसको छोड़ ना चाहा, किंतु वह नाकाम रहे, क्योंकि धूम्रपान से निकले केमिकल एवं निकोटिन नर्वस सिस्टम पर कार्य करता है, इसे लेने पर लोगों को कुछ समय के लिए बेहतर और तनाव रहित लगता है, किंतु यह एक मिथ्या भ्रम है, धीरे-धीरे यह आदत शरीर को कंकाल बना देती है। नशा छोड़ने के लिए सर्वप्रथम रोगी की आत्मशक्ति प्रबल होना चाहिए कि वह नशा छोड़ना चाहे।आयुर्वेद दवाइयों के प्रयोग से धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलती है। अदरक, आंवला व हल्दी का चूर्ण उपयोगी है। मानसिक तनाव को दूर करने हेतु अश्वगंधा, ब्राह्मी, मंडूकपर्णी उपयोगी है।
भूख ना लगने पर चित्रक, त्रिकटु, अजवाइन, सौंफ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। उल्टी का मन होने पर बड़ी इलायची का चूर्ण लाभदायक है। यदि रोगी को कब्ज जाने लगे तो आंवला, हरीतकी, सनाय आदि लाभदायक है। सभी दवाइयां चिकित्सक की देखरेख में लेना चाहिए।
आजकल बाजार में ब्राह्मी, तुलसी, मुलेठी, सोंठ, पिपरमेंट आदि से बनी हुई सिगरेट भी उपलब्ध है एवं इसके चूर्ण का प्रयोग भी तंबाकू के स्थान पर बेहतर विकल्प है।
अनार के छिलके को पीसकर उसमें कत्था, आमलकी, अल्प मात्रा में काली मिर्च और तुलसी मिलाकर तंबाकू के स्थान पर प्रयोग में लिया जा सकता है।