यूपी – गाजियाबाद पिछले 4 दिनों से देश का नौजवान सड़कों पर है, कारण है सरकार द्वारा लाई गई नई स्कीम अग्निपथ, पूरे देश में नौजवान इसका विरोध कर रहे, 3 साल बंद भर्तियों के इंतजार में बैठा नौजवान अचानक से उग्र हो रहा है, हालांकि हिंसा का कोई समर्थन नहीं करता, युवाओं को अपनी मांग अगर सरकार से मनवानी है तो उन्हें किसानों की तरह अहिंसक तरीका अपनाना पड़ेगा, हिंसा से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर व लोगों को परेशान करके वो अपना कैरियर बर्बाद कर लेंगे।
समाजसेवी सिकंदर यादव कहा उनकी मांग पर सरकार को जरूर विचार करना चाहिए जो नौजवान कई वर्षों से कठिन परिश्रम करके सेना की तैयारी कर रहे थे, उन्हें इस योजना ने हिला दिया। 4 वर्ष बाद अनिश्चित भविष्य की उनकी चिंता जायज है, रक्षा विशेषज्ञों में भी अधिकतर लोगों की राय इन नौजवानों से मिलती है। फौज से वीआरएस लेने वालों तक को भी अच्छी जॉब नहीं मिलती तो इन लोगों को 4 साल बाद नौकरी मिलेगी इसकी क्या गारंटी है।
ज्यादातर नौजवानों को लोकल सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ेगी जिसमें पहले से ही जगह कम है, इससे उन्हें आजीविका के लाले पड़ जाएंगे। सरकार को यह समझना पड़ेगा जब कोई नौजवान फौज में जाता है तो वो केवल आजीविका के लिए ही नहीं जाता वरन त्याग व बलिदान की भावना भी उस में रहती है, साथ ही समय पर रिटायरमेंट के बाद एक सम्मान का जीवन बिताने की इच्छा रखता है इतने महत्वपूर्ण विषय पर सरकार को कोई निर्णय लेने से पहले व्यापक विमर्श व विचार की आवश्यकता होती है ये भारत की रक्षा व भविष्य से जुड़ा सवाल है। इसके आफ्टर इफेक्ट पर बहुत सावधानी की आवश्यकता है पिछले 8 वर्षों में सरकार की जो प्रवृत्ति रही है वो सख्ती की रही है चाहे वह किसान आंदोलन हो या सरकारी उपक्रमों का निजीकरण, सरकार को सोचना पड़ेगा कि हर समस्या का हल निजीकरण नहीं है, हो सकता है कि सरकार की मंशा सैन्य खर्चों में कटौती करके उसका विकास करने की रही हो, परंतु भारत के गरीब व मध्यम वर्ग के नौजवान के भविष्य को देखते हुए ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।
सिर्फ इस आधार पर कि दुनिया के विकसित देश इस प्रकार की योजना लागू कर रहे हैं ये भारत के लिए उपयोगी नहीं हो सकती, भारत की जरूरत अन्य देशों से बहुत अलग है, संक्षेप में कहें तो पिछले कई वर्षों की बढ़ती बेरोजगारी, नोटबंदी से कोरोना तक गिरती अर्थव्यवस्था के कारण आज देश में नौकरी की हालत खराब है, ऐसे में नौजवानों को 4 वर्ष बाद रिटायर कर देना, बिना भत्तों व पेंशन के, उसके लिए अनिश्चिता कुछ नहीं है शायद इसीलिए यह लोग बहुत आक्रोशित हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इस योजना को स्थगित कर इसमें व्यापक संशोधन के साथ रक्षा विशेषज्ञों की राय के अनुसार नए तरह से लाए।
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अग्निपथ पर घमासान फौज से वीआरएस लेने वालों को भी अच्छी जॉब नहीं मिलती : सिकंदर यादव
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