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हिण्डन नदी के पुनर्जीवन के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतक किए प्रस्तुत

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यूपी – गाजियाबाद हिण्डन नदी के पुनर्जीवन और उसके पारिस्थितिक संतुलन को सुदृढ़ करने के लिए महात्मा गांधी सभागार में आयोजित हिण्डन वर्किंग कमेटी की बैठक में पर्यावरणविद् एवं उत्थान समिति के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने विशेषज्ञ सदस्य के रूप में भाग लेते हुए “हिण्डन नदी पुनर्जीवन के प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (Key Performance Indicators – KPI)” प्रस्तुत किए।

यह दस्तावेज़ हिण्डन नदी के पुनर्जीवन के लिए एक व्यवस्थित, परिणाम-आधारित और समयबद्ध कार्यनीति का खाका प्रस्तुत करता है, जिसमें 35 बिंदुओं के माध्यम से जल गुणवत्ता सुधार, जैव विविधता पुनर्स्थापन, जनसहभागिता, नीति क्रियान्वयन और निगरानी व्यवस्था को परिभाषित किया गया है।

Lसत्येंद्र सिंह ने बताया कि हिण्डन नदी का पुनर्जीवन केवल पर्यावरणीय पहल नहीं है, बल्कि यह जनजीवन, कृषि, भूजल, जैव विविधता और सामाजिक स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा हुआ विषय है।
उन्होंने कहा कि इन संकेतकों का उद्देश्य नदी पुनर्जीवन के कार्यों को मापनीय (Measurable), प्राप्त करने योग्य (Achievable), यथार्थवादी (Realistic) और समयबद्ध (Time-Bound) बनाना है।

अल्पकालिक (Short-Term) प्रमुख संकेतक — 1 से 3 वर्ष के भीतर प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य

1. बिना शोधन वाले सीवेज या औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवाह रोकना

नदी में प्रवेश करने वाले असंशोधित अपशिष्ट को पूर्ण रूप से बंद करने का लक्ष्य। इससे जल गुणवत्ता में त्वरित सुधार और प्रदूषण में कमी आएगी।

2. प्रत्येक जिले में जल परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना

हिण्डन बेसिन के सभी जिलों में जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएँगी ताकि प्रदूषण की निगरानी नियमित रूप से की जा सके।

3. सीवेज ट्रीटमेंट और ईटीपी संयंत्रों की 90% परिचालन दक्षता सुनिश्चित करना

सभी शोधन संयंत्रों की क्षमता बढ़ाकर सीपीसीबी मानकों के अनुरूप संचालन सुनिश्चित किया जाएगा।

4. प्लास्टिक, गाद और ठोस अपशिष्ट के नियमन और वैज्ञानिक निस्तारण की व्यवस्था

नदी तटों और जल प्रवाह क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु स्थानीय प्रशासन और नगर निकायों को उत्तरदायी बनाया जाएगा।

5. ‘नदी मित्र’ (River Friends) पहल की शुरुआत

स्थानीय युवाओं और नागरिक समाज को नदी संरक्षण से जोड़ने हेतु “नदी मित्र” कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

6. विद्यालयों, महाविद्यालयों और समुदायों में जनजागरूकता अभियान

जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन पर विशेष कार्यशालाएँ और रैलियाँ आयोजित की जाएँगी।

7. प्रदूषण नियंत्रण हेतु नागरिक निगरानी तंत्र (Citizen Reporting System) की स्थापना

नागरिकों को प्रदूषण संबंधी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा दी जाएगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

8. महिला स्व–सहायता समूहों (SHGs) की सहभागिता

ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता और जल संरक्षण में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

9. ‘हिण्डन नदी दैनिक पुनर्जीवन मिशन’ के रूप में संस्थागत निकाय की स्थापना

एक समर्पित समिति गठित की जाएगी जो प्रतिदिन नदी के कार्यों की निगरानी करेगी।

10. पर्यावरणीय कानूनों का सख्त प्रवर्तन और दंडात्मक कार्रवाई

औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध प्रभावी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

11. जिला एवं ब्लॉक स्तर पर ‘नदी पुनर्जीवन समितियों’ का गठन

स्थानीय स्तर पर निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली को सशक्त किया जाएगा।

12. सीएसआर फंड और हरित बॉन्ड्स के माध्यम से वित्त पोषण जुटाना

नदी परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जाएगी।

13. ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर ईटीपी/एसटीपी यूनिट्स की स्थापना

गाँवों और कस्बों के लिए सामुदायिक जल उपचार केंद्र स्थापित किए जाएँगे।

14. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत स्रोत पर पृथक्करण और संग्रहण प्रणाली लागू करना

घरेलू और औद्योगिक स्तर पर अपशिष्ट पृथक्करण को अनिवार्य किया जाएगा।

15. जीआईएस आधारित निगरानी प्रणाली का विकास

तकनीकी प्लेटफॉर्म पर रियल-टाइम डेटा और निगरानी की व्यवस्था।

16. ऑनलाइन ‘हिण्डन नदी डैशबोर्ड’ तैयार करना

जनसाधारण के लिए उपलब्ध एक पारदर्शी सूचना पोर्टल, जिसमें जल गुणवत्ता, प्रगति रिपोर्ट और कार्य योजनाएँ प्रदर्शित होंगी।

17. प्रत्येक छह माह में प्रगति रिपोर्ट प्रकाशित करना

नियमित मूल्यांकन और पारदर्शिता को बढ़ावा देने हेतु सार्वजनिक रिपोर्ट जारी करना।

18. नदी संरक्षण हेतु शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित करना

विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को नदी अध्ययन एवं प्रदर्शन मूल्यांकन में शामिल किया जाएगा।

दीर्घकालिक (Long-Term) प्रमुख संकेतक — 5 से 10 वर्ष के भीतर प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य

19. नदी के जल की गुणवत्ता को CPCB मानकों के अनुसार बनाए रखना

BOD < 3 mg/L और COD < 10 mg/L के लक्ष्य प्राप्त करना।

20. नदी तटों पर देशज पौधों और वृक्षों का व्यापक रोपण

जैव विविधता और हरित पट्टी को बढ़ावा देना।

21. स्थानीय जैव विविधता वाले क्षेत्रों की पहचान और संरक्षण

प्राकृतिक आवासों की रक्षा और पारिस्थितिक पुनर्जीवन सुनिश्चित करना।

22. प्राकृतिक आर्द्रभूमियों (Wetlands) का पुनर्स्थापन

जल संतुलन और बाढ़ नियंत्रण क्षमता में वृद्धि।

23. बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में जैव विविधता उद्यानों (Biodiversity Parks) का विकास

पर्यावरणीय शिक्षा और पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देना।

24. वार्षिक जैव विविधता सर्वेक्षण प्रणाली विकसित करना

स्थानीय जैविक संरचना की निगरानी और संरक्षण उपायों का मूल्यांकन।

25. नदी प्रवाह को बनाए रखने हेतु न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह (Environmental Flow)

सतत जल प्रवाह और जलीय जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

26. तालाबों, झीलों और बावड़ियों का पुनर्जलीकरण

भूजल पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन क्षमता बढ़ाना।

27. जल संचयन के लिए छतों से जल संग्रह प्रणाली का विस्तार

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य करना।

28. नदी तटों से अवैध अतिक्रमणों का हटाना और प्राकृतिक मार्ग की पुनर्स्थापना

नदी प्रवाह की प्राकृतिक दिशा को पुनर्जीवित करना।

29. जैविक और कम रासायनिक खेती को प्रोत्साहन देना

कृषि अपवाह (runoff) को कम करके जल गुणवत्ता सुधारना।

30. भूजल संरक्षण हेतु बंद जलाशयों और रिचार्ज संरचनाओं का पुनर्स्थापन

जल स्तर में सुधार और वर्षा जल का संचयन।

31. बायो-फेंसिंग और नदी किनारे बफर जोन की स्थापना

मिट्टी अपरदन और जल प्रदूषण को रोकना।

32. बायो-वेस्ट प्रबंधन और ठोस अपशिष्ट में कमी लाने के उपाय

स्रोत-आधारित पुनर्चक्रण और अपशिष्ट नियंत्रण व्यवस्था।

33. परफॉर्मेंस ऑडिट (Performance Audit) प्रणाली लागू करना

परियोजनाओं की प्रभावशीलता और गुणवत्ता का वार्षिक मूल्यांकन।

34. राष्ट्रीय योजनाओं (नमामि गंगे, अमृत 2.0, मनरेगा) के साथ एकीकरण

हिण्डन नदी को राष्ट्रीय जल मिशनों के अनुरूप जोड़ना।

35. दीर्घकालिक पारदर्शिता और निगरानी व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण

नदी पुनर्जीवन परियोजनाओं के लिए सतत मूल्यांकन और जन-उत्तरदायित्व।

पर्यावरणविद् सत्येंद्र सिंह ने कहा “हिण्डन नदी हमारे पर्यावरण और संस्कृति की जीवनधारा है। यह योजना केवल प्रदूषण नियंत्रण का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि समाज, उद्योग, और प्रशासन के संयुक्त प्रयास का रोडमैप है। इस KPI को व्यवहारिक धरातल पर लागू करने से हिण्डन का पुनर्जीवन निश्चित रूप से संभव है।”

उन्होंने यह भी बताया कि उत्थान समिति द्वारा किए गए ड्रोन सर्वेक्षण और जल गुणवत्ता रिपोर्ट के आधार पर यह KPI तैयार किया गया है, जिसे नमामि गंगे मिशन और राज्य पर्यावरण विभागों को प्रस्तुत किया जाएगा ताकि एकीकृत प्रयासों के माध्यम से नदी को पुनर्जीवित किया जा सके ।

इस पहल से न केवल हिण्डन नदी का पुनर्जीवन होगा, बल्कि यह “स्वच्छ, हरित और स्वस्थ भारत” के निर्माण में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगा।
यह दस्तावेज़ देश के लिए नदी प्रबंधन का एक मानक मॉडल (Model Framework) बनेगा, जो आने वाली पीढ़ियों को जल और पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का संदेश देगा।