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विकसित उत्तर प्रदेश-समर्थ उत्तर प्रदेश 2047 के विजन डॉक्यूमेंट के लिए नीरज सिंघल की प्रस्तुती की हुई सराहा

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यूपी – मंगलवार 09 सितम्बर को शताब्दी संकल्प 2047 के तहत विकसित उत्तर प्रदेश-समर्थ उत्तर प्रदेश 2047 के विजन डॉक्यूमेंट के लिए विकसित उत्तर प्रदेश के निर्माण हेतु एमएसएमई एवं ऊर्जा क्षेत्र की अपेक्षाओं एवं सुझावों पर नीरज सिंघल निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आईआईए एवं सीएमडी केलको ग्रुप तथा कन्वेनर ए-20 ज्वांइट फोरम के द्वारा जिलाधिकारी गाजियाबाद रविन्द्र कुमार माँदड़ के निर्देशन और मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल के नेतृत्व में हिन्दी भवन लोहिया नगर में प्रस्तुत दी गई। कार्यक्रम में पूर्व मुख्य सचिव उ0प्र0 सरकार राजेन्द्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव नरेन्द्र भूषण और पूर्व कृषि निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार तोमर उपस्थिति रहे।

मुख्य विकास अधिकारी के स्वागत सम्बोधन के उपरांत गाजियाबाद के विभिन्न गणमान्य उद्यमियों ने अपनी प्रस्तुती दी। नीरज सिंघल ने पूर्व मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, पूर्व कृषि निदेशक, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, उपायुक्त उद्योग एवं उपस्थित सभी गणमान्य उद्यमियों का स्वागत करते हुए अपनी प्रस्तुती के माध्यम से विभिन्न विकसित भारत एवं उत्तर प्रदेश हेतु विभिन्न अपेक्षाऐं एवं सुझाव दिए गये, जिसमें उन्होने 05 स्क्रम में 2025-2030 (आधारभूत सुधार और बुनियादी ढांचे का निर्माण), 2031-2035 (औद्योगिक विकास एवं कौशल विकास), 2036-2040 (स्थायित्व और वैश्विक प्रतिस्पर्धा), 2041-2045 (विकास लाभों का एकत्रीकरण) तथा 2046-2047 (विकसित उत्तर प्रदेश का दर्जा पाने की दिशा में अंतिम प्रयास) के अन्तर्गत अवगत कराया किः-
स्प्रिंट-1ः 2025-2030 आधारभूत सुधार और बुनियादी ढाँचे का निर्माण-
लक्ष्यः- मज़बूत नीतिगत नींव का निर्माण –
▪️ आर्थिक सुधारों में तेज़ी – व्यापार/विनिर्माण में आसानी
▪️ प्रशासनिक सुधार (विघटनकारी कार्यों, अव्यावहारिक और अनावश्यक अनुपालनों के लिए निरीक्षकों की जवाबदेही, गैर-अपराधीकरण, आनुपातिक ज़िम्मेदारियाँ)
▪️ सामाजिक सुधार
▪️ प्राइम समिति (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए नीति सुधार और हस्तक्षेप)
लक्ष्यः- बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण –
▪️ उत्तर प्रदेश सरकार को स्मार्ट शहरों की तरह स्मार्ट औद्योगिक क्षेत्रों का भी विकास करना चाहिए। स्मार्ट औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक आवासों के साथ-साथ सामान्य अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र, जल पाइपलाइन, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और परिवहन (आरआरटीएस) जैसी बुनियादी और अत्यंत आवश्यक सुविधाएँ भी उपलब्ध होनी चाहिए। इस मॉडल को उत्तर प्रदेश के मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों में भी अपनाया जा सकता है।
▪️ प्रदूषणकारी और गैर-प्रदूषणकारी क्षेत्रों में अंतर करने हेतु सटीक डेटा हेतु शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ASQN।
▪️ प्रदूषण रिपोर्टिंग सुधार (गलत औसत रिपोर्टिंग के बजाय व्यक्तिगत क्षेत्र रिपोर्टिंग/निगरानी, अर्थात प्रदूषण निगरानी टावर – उत्तर प्रदेश विशिष्ट)
▪️ बुनियादी ढाँचे पर व्यापक ज़ोर
▪️ राजमार्ग – (राजमार्ग और औद्योगिक क्षेत्रों के बीच अंतर्संबंध)
▪️ हवाई अड्डे
ध्यान देने की आवश्यकता
▪️ नदी बंदरगाह’
▪️ औद्योगिक क्षेत्र / पर्यटन क्षेत्र के आस-पास हेलीपोर्ट
▪️ इलेक्ट्रिक वाहन बुनियादी ढाँचा
▪️ फ्रेट कॉरिडोर से जुड़े क्षेत्रवार कंटेनर डिपो
▪️ उत्तर प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र में स्थानीय उत्पादों पर आधारित गोदाम स्थापित किए जाने चाहिए, जिनका आवागमन आसान हो और रेलवे, मेट्रो और राष्ट्रीय राजमार्गों से संपर्क हो।
▪️ क्षेत्रीय प्रदर्शनी केंद्र (सभी मौजूदा डीआईसी अवसंरचना का उपयोग किया जा सकता है)
▪️ विद्युत अवसंरचना में उन्नति – प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र में सौर पार्क (150+ औद्योगिक क्षेत्र, छत और पार्क क्षमता 23 हज़ार एकड़ से अधिक, जो 5-6 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है)
▪️ निकटतम परमाणु ऊर्जा संयंत्र, अर्थात् नरौरा, की क्षमता में वृद्धि
▪️ विद्युत अवसंरचना में उन्नति -भू-तापीय संयंत्र
खंभों से बिजली के तारों को भूमिगत करना
▪️ डिजिटल परिवर्तन फाउंडेशन
ई-गवर्नेंस
निवेश मित्र पोर्टल (460+ के लिए)
ब्रॉडबैंड विस्तार
▪️ अनुसंधान एवं विकास एवं परीक्षण प्रयोगशालाएँ
लक्ष्यः- मानव पूँजी विकास –
▪️ शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार
एसटीईएम पर ध्यान
शिक्षक प्रशिक्षण
अधिक उद्योग अकादमिक गठजोड़
▪️ कुशल जनशक्ति
▪️ स्वास्थ्य सेवा विस्तार – सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज

स्प्रिंट-2ः 2031-2035 – औद्योगिक विकास और कौशल विकास –
लक्ष्य- औद्योगिक क्षमता को बढ़ावा देना, वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मज़बूत करना और कार्यबल का कौशल विकास करना।
प्रमुख कार्यः-
▪️ विनिर्माण और उद्योग का विस्तार (मेक इन इंडिया 2.0, औद्योगिक क्लस्टर)
▪️ कौशल भारत 2.0 विस्तार (उभरते क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण)
▪️ नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा (टेक पार्क, पीपीपी अनुसंधान)
▪️ वित्तीय समावेशन में तेज़ी (सूक्ष्म ऋण, डिजिटल बैंकिंग)

स्प्रिंट-3ः 2036-2040 – स्थिरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता
लक्ष्य- हरित अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार स्थिति में अग्रणी भूमिका निभाना।
प्रमुख कार्य-
▪️ जलवायु लचीलापन परियोजनाएँ (वनरोपण, जल प्रबंधन)
▪️ वैश्विक व्यापार और निवेश नेतृत्व (व्यापार समझौते, निर्यात केंद्र)
▪️ शहरीकरण और स्मार्ट सिटी विस्तार (IoT शासन, सार्वजनिक परिवहन)
▪️ उन्नत डिजिटल अर्थव्यवस्था (AI- संचालित सेवाएँ, डेटा गोपनीयता कानून)
▪️ उच्च शिक्षा और अनुसंधान उत्कृष्टता (वैश्विक विश्वविद्यालय रैंकिंग, उत्कृष्टता केंद्र)

स्प्रिंट-4ः 2041-2045 – विकास लाभों का एकत्रीकरण
लक्ष्यः भारत के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढाँचे और वैश्विक प्रतिष्ठा को निखारना और मज़बूत करना।
प्रमुख कार्यः-
▪️ प्रौद्योगिकी और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व (कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी निर्यात)
▪️ सामाजिक कल्याण और जीवन की गुणवत्ता (सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा, किफायती आवास)
▪️ उन्नत बुनियादी ढाँचा एकीकरण (स्वायत्त परिवहन, 5जी$)
▪️ हरित अर्थव्यवस्था नेतृत्व (शुद्ध-शून्य लक्ष्य, नवीकरणीय प्रौद्योगिकी नेतृत्व)
▪️ सांस्कृतिक और वैश्विक सॉफ्ट पावर विस्तार (सिनेमा, व्यंजन, शिक्षा निर्यात)

स्प्रिंट-4ः 2046-2047 – विकसित उत्तर प्रदेश का दर्जा पाने के लिए अंतिम प्रयास
लक्ष्यः- भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाना और भविष्य में सतत विकास के लिए तैयार करना।
मुख्य कार्यः-
▪️ नीतिगत सुधार और शासन उत्कृष्टता (स्मार्ट नियमन, भ्रष्टाचार विरोधी उपाय)
▪️ अगली पीढ़ी के बुनियादी ढाँचे का निर्माण (पूर्णतः स्वायत्त नेटवर्क, उन्नत स्वास्थ्य सेवा तकनीक)
▪️ नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की परिपक्वता (आत्मनिर्भर नवाचार समूह)
▪️ वैश्विक नेतृत्व सुदृढ़ीकरण (उच्च वैश्विक रैंकिंग, वैश्विक निकायों में प्रभाव)
▪️ सामाजिक-आर्थिक गुणवत्ता मापक प्राप्ति (प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, मानव विकास सूचकांक 0.8)

श्री नीरज सिंघल द्वारा 2047 तक विकसित उत्तर प्रदेश के लिए एमएसएमई की अपेक्षाएँ और सुझाव निम्नवत दिए गयेः-
▪️ उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लिए क्षेत्रवार अतिरिक्त एफएआर वाली फ्लैटेड फ़ैक्टरी/कॉम्प्लेक्स या औद्योगिक भूमि के साथ-साथ स्मार्ट औद्योगिक एस्टेट और अविकसित/उप-क्षेत्रीय क्षेत्रों में नए औद्योगिक एस्टेट विकसित किए जाने चाहिए।
▪️ कृषि आधारित औद्योगिक एस्टेट कृषि भूमि पर स्थापित किए जाने चाहिए जो खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सहायता प्रदान कर सकें।
▪️ उत्तर प्रदेश के लिए आसान निकास नीति।
▪️ उत्तर प्रदेश में लीज़ होल्ड से फ्री होल्ड औद्योगिक भूमि नीति (दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, पंजाब में पहले से ही यह नीति है और तमिलनाडु, उड़ीसा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश इस पर काम कर रहे हैं)
▪️ गंगा नदी/नहर जैसे आस-पास के क्षेत्रों में जहाँ पानी आसानी से उपलब्ध हो, वहाँ बॉटलिंग प्लांट या जल निष्कर्षण संयंत्र आदि जैसी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए नीति का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए।
▪️ उत्तर प्रदेश के लिए जवाबदेह इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
▪️ ओडीओपी से ओडीटीपी (एक ज़िला कम से कम तीन उत्पाद)।
▪️ उत्तर प्रदेश में एमएसएमई के लिए सुविधा परिषद को और अधिक सशक्त बनाया जाना चाहिए।
▪️ उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय स्तर पर एमएसएमई के लिए नए सामान्य सुविधा केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए और पहले से स्थापित सीएफसी केंद्रों में सुधार किया जाना चाहिए ताकि एसएमई को लाभ मिल सके।
▪️ उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा प्लास्टिक, अपशिष्ट, कागज आदि के लिए पुनर्चक्रण संयंत्र स्थापित किए जाने चाहिए।
▪️ उत्तर प्रदेश के उप-क्षेत्रों जैसे हस्तिनापुर, शुक्रताल, गुरुग्राम, नोएडा आदि में पर्यटन परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
▪️ उत्तर प्रदेश की समस्याओं के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय सचिवालय स्थापित किया जाना चाहिए।

पूर्व मुख्य सचिव उ0प्र0 राजेन्द्र कुमार तिवारी ने नीरज सिंघल द्वारा विकसित उत्तर प्रदेश एवं विकसित भारत 2047 पर दी गई प्रस्तुती की सराहना करते हुए आष्वस्त किया कि आपके द्वारा दिए गये सुझाव लागू करने योग्य हैं तथा मेरा भरसक प्रयास रहेगा कि आपके द्वारा दिए गये सुझाव प्रदेश में विकसित भारत 2024 के लक्ष्य हेतु जल्द से जल्द लागू हों। नीरज सिंघल द्वारा दी गई प्रस्तुती हेतु उनको पूर्व मुख्य सचिव एवं अन्य अधिकारियों द्वारा शील्ड देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आईआईए की ओर से सीईसी सदस्य मनोज कुमार, राष्ट्रीय सचिव प्रदीप गुप्ता, डिवीजनल चेयरमैन राकेश अनेजा, डिवीजनल सैक्रेटरी अमित नागलिया, कोषाध्यक्ष संजय गर्ग, कन्वेनर दिनेश गर्ग, सदस्य डा0 अतुल कुमार जैन, प्रशांक गुप्ता, तिलकराज सिंघल मौजूद रहे।