निबंधक व अन्य संबंधित विभाग को पत्र भेजकर लिया जायेगा सहयोग
प्राधिकरण उपाध्यक्ष श्री अतुल वत्स के द्वारा कई अन्य पहलुओं को लेकर बैठक में जारी किए दिशा निर्देश
यूपी – गाजियाबाद विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने पूर्व में जारी दिशा निर्देशों के क्रम में आज 8 सितंबर को प्राधिकरण के प्रवर्तन अनुभाग के तमाम अधीनस्थ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान मुख्य रूप से निजी बिल्डरों के द्वारा विकसित की जा रही ग्रुप हाउसिंग परियोजना में ईडब्लूएस और एलआईजी भवनों के तैयार किए गए डाटा पर मंथन किया गया। ये भी जानने का प्रयास किया गया कि निजी विकासकर्ता को कितने ई डब्लूएस और एलआईजी भवनों का निर्माण करना था और मौजूूदा तक कितने भवनों का निर्माण किया गया। ऐसे निजी विकासकर्ताओं पर शिकंजा कसने के दिशा निर्देश दिए गए जिनके द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार एलआईजी और ईडब्लूएस भवनों का निर्माण नहीं किया गया है। बैठक के दौरान अनाधिकृत कालोनियों की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध कराने के लिए निबंधक को पत्र भेज कर अवैध कालोनियों मे रेजिस्ट्री ना किये जाने हेतु सहयोग करने की बाबत अधिकारियों से समन्वय स्थापित करने का दिया गया निर्देश। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु निबंधक, विद्युत विभाग, नगर निगम व अन्य संबंधित विभाग को पत्र प्रेषित किए जाने हेतु निर्देशित किया गया। बैठक के दौरान जिन बिल्डिंगों को सील करते हुए पुलिस अभिरक्षा में दिया गया है, पुलिस विभाग के साथ मानिटरिंग कर कडी कार्यवाही किए जाने हेतु निर्देशित किया गया। प्राधिकरण में आईजीआरएस का दायित्व देख रहे विशेष कार्य अधिकारी को प्रतिदिन कम से कम 5 आईजीआरएस सैंपल के तौर पर चेक करने हेतुु निर्देशित किया गया। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों के क्रम में इंदिरापुरम स्थित कैलाश मानसरोवर भवन के हस्तांतरण हेतु एमओयू के बिंदुओं पर भी विस्तार पूर्वक विमर्श किया गया। साथ ही रोडवेज बस अडडे के निजी फर्म के द्वारा आधुनिक स्तर से किए जा रहे निर्माण कार्य में प्राधिकरण की शेयरिंग के पहलू पर भी न केवल मंथन हुआ, बल्कि अधीनस्थ अधिकारियों को रेवेन्यू शेयरिंग का अध्ययन करने के साथ प्रस्ताव शासन को प्रेषित किए जानेे लिए निर्देशित किया गया। बैठक के दौरान जोर दिया गया कि जिस निजी फर्म के द्वारा आधुनिक स्तर से बस अडडे का निर्माण किया जा रहा है उसके द्वारा नीचे के हिस्से में बस अडडा एवं अवशेष हिस्से में व्यवासायिक बिल्डिंग का निर्माण किया जाना है। आने वाले वक्त में निजी फर्म के द्वारा आर्थिक लाभ हासिल किया जाएगा। ऐसे में प्राधिकरण की वित्तीय हितों को ध्यान रखते हुए रेवेन्यू शेयरिंग आवश्यक है।