गाजियाबाद प्रशासन का बड़ा कदम, नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत होगी हिंडन के पुनर्जीवन की कार्ययोजना
यूपी – गाजियाबाद जिला प्रशासन ने हिंडन नदी को पुनर्जीवित करने, संरक्षित करने और इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के उद्देश्य से गठित “विशेषज्ञ कार्यसमिति (Working Committee of Experts)” में भारतीय औद्योगिक प्रबंधन परिषद (ICIM) के चेयरमैन एवं प्रख्यात पर्यावरणविद् सत्येन्द्र सिंह को सदस्य नियुक्त किया है।
यह समिति नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की स्वीकृति से गठित की गई है। समिति में जिलाधिकारी गाजियाबाद को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिंचाई विभाग, शिक्षा विभाग, जिला पंचायत, विकास प्राधिकरण, विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी एवं विशिष्ट पर्यावरणविद् इसमें सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं।
सत्येन्द्र सिंह की भूमिका और प्रतिक्रिया
सत्येन्द्र सिंह लंबे समय से हिंडन महोत्सव और विभिन्न पर्यावरणीय अभियानों के माध्यम से हिंडन नदी को बचाने के लिए सक्रिय रहे हैं। उनकी नियुक्ति पर पर्यावरणविदों और औद्योगिक जगत में उत्साह का माहौल है।
अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा:
“हिंडन नदी केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर भी है। यह नदी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहचान है। इसे पुनर्जीवित करना सामूहिक जिम्मेदारी है। मैं प्रयास करूंगा कि वैज्ञानिक उपायों और सामुदायिक भागीदारी से हिंडन नदी को प्रदूषणमुक्त और हरित बनाया जाए।”
समिति का प्रमुख एजेंडा
समिति की पहली बैठक में नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन हेतु 22 प्रमुख बिंदुओं पर कार्ययोजना तय की गई है। इनमें शामिल हैं:
1. नदी एवं बाढ़ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाना – GIS मैपिंग और सर्वेक्षण द्वारा सीमा निर्धारण, अवैध निर्माण पर रोक और जन-जागरूकता।
2. प्रदूषण नियंत्रण – सीवरेज नालों को एस.टी.पी. से जोड़ना, अवैध डिस्चार्ज रोकना और निगरानी तंत्र को मज़बूत करना।
3. नदी सफाई अभियान – गाद, जलकुंभी और ठोस अपशिष्ट हटाना।
4. हरित विकास और जैव विविधता – नदी तटों पर वृक्षारोपण, इको-पार्क और प्राकृतिक आवास का संरक्षण।
5. अवैध उद्योगों की पहचान और बंदी – ऐसे उद्योग जो प्रदूषण फैलाते हैं, उन पर कार्रवाई।
6. जन-जागरूकता अभियान – विद्यालयों और कॉलेजों में पर्यावरण शिक्षा और नदियों के महत्व पर जागरूकता।
7. वैज्ञानिक निगरानी प्रणाली – GIS मैपिंग, जल ऑडिट, क्लस्टर स्तर पर सीवरेज जांच।
8. शहरी एवं ग्रामीण एकीकरण – गांव और कस्बों में ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन।
9. नदी किनारे हरित पट्टी व पौधारोपण – स्थानीय प्रजातियों के वृक्ष लगाकर तटों की मजबूती।
10. समग्र निरीक्षण प्रणाली – नाले/नदियों का डेटा, KPI, टेलीमेट्री आधारित निगरानी और सार्वजनिक डोमेन में रिपोर्ट प्रकाशित करना।
11. जनभागीदारी और CSR सहयोग – उद्योगों और एनजीओ को जोड़कर सामूहिक प्रयास।
12. शिक्षा एवं सामाजिक अभियान – स्कूल स्तर पर विशेष कार्यक्रम और स्वच्छता अभियान।
गाजियाबाद के लिए पर्यावरणीय भविष्य की दिशा
गाजियाबाद और पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंडन नदी प्रदूषण और अतिक्रमण से जूझ रही है। इस समिति के गठन से उम्मीद है कि आने वाले समय में हिंडन को बचाने की ठोस रणनीति बनेगी और यह नदी फिर से जीवनदायिनी धारा के रूप में प्रवाहित हो सकेगी।
सत्येन्द्र सिंह की सक्रियता, अनुभव और दूरदृष्टि समिति को एक नई दिशा देगी। उनका अनुभव औद्योगिक प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण दोनों में है, जो हिंडन नदी के पुनर्जीवन अभियान को गति देगा।
यह नियुक्ति न केवल गाज़ियाबाद बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा पर्यावरणीय कदम मानी जा रही है। आने वाले महीनों में समिति समयबद्ध कार्ययोजना बनाकर जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए आगे बढ़ेगी।